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गुरमीत राम रहीम फिर बना चुनाैती, पंचकूला हिंसा जैसे हालत के रिस्‍क से सरकार सतर्क

दो साध्वियों से दुष्‍कर्म में 20 कैद की सजा काट रहे डेरा सच्‍चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने एक बार फिर पैरोल मांगी है। सुनारिया जेल प्रशासन ने उसके पक्ष में सिफारिश की है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 01:29 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 07:10 PM (IST)
गुरमीत राम रहीम फिर बना चुनाैती,  पंचकूला हिंसा जैसे हालत के रिस्‍क से सरकार सतर्क
गुरमीत राम रहीम फिर बना चुनाैती, पंचकूला हिंसा जैसे हालत के रिस्‍क से सरकार सतर्क

चंडीगढ़/सिरसा, जेएनएन। दो साध्वियों से दुष्‍कर्म के मामले में सुनारिया जेल में सजा काट रहे डेरा सच्‍चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने एक बार फिर हरियाणा सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। गुरमीत ने रोहतक की सुन‍ारिया जेल प्रशासन से एक बार फिर पैरोल मांगा है। उसने 42 दिन के पैरोल की अर्जी दी है। विधानसभा चुनाव से पहले गुरमीत की इस अर्जी से हरियाणा सरकार के लिए इसलिए भी चुनौती बन गई है कि जेल प्रशासन ने डेरा प्रमुख के पक्ष में सिफा‍रिश की है। जेल प्रशासन ने जेल मेें गुरमीत के आचरण को अच्‍छा बताया है।

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गुरमीत ने कृषि संबंधी कार्य के लिए पैराेल मांगी है, लेकिन माना जा रहा है कि वह बिखरे डेरा सच्‍चा सौदा में फिर से जान फूंकना चाहता है। ऐसे में कानून-व्‍यवस्‍था के लिए चुनौती पैदा हो सकती है। एक बार फिर पंचकूला हिंसा जैसी स्थिति पैदा होने के खतरे के कारण सरकार किसी तरह का रिस्‍क लेने से हिचक रही है। माना जा रहा है कि गुरमीत को पैराेल मिली तो उसके समर्थक व डेरा अनुयायी डेरा सच्‍चा सौदा की ओर कूच कर सकते हैं और इससे हालात बिगड़ सकते हैं।

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बता दें कि गुरमीत राम रहीम दो साध्वियों से दुष्‍कर्म के मामले में सुनारिया जेल में 20 साल कैद की सजा काट रहा है। वह दो साल से इस जेल में बंद है। गुरमीत ने पिछले साल के अंत में भी पैरोल मांगा था। उसने अपनी गोद ली बेटी की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल की अर्जी दी थी, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था।

माना जा रहा है कि गुरमीत राम रहीम किसी भी तरीके से जेल से बाहर आना चाहता है। इसके लिए अब उसने खेती के कामकाज को संभालने के लिए पैरोल दिए जाने का आग्रह जेल प्रशासन से किया है। जेल प्रशासन ने सिरसा के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजकर इस मामले में उनकी राय मांगी है।

रोहतक जेल से जिला प्रशासन को आया पत्र, मांगी गई राय

रोहतक की सुनारिया जेल के अधीक्षक की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि गुरमीत राम रहीेम सिंह सजायाफ्ता है और जेल में बंद है। पत्र में कहा गया है कि सीबीआइ कोर्ट द्वारा उनके विरुद्ध 12 दिसंबर 2002 को दर्ज केस में सजा सुनाई गई है और जुर्माना भी किया गया है। उसे दस-दस साल की दो सजा काटनी है। इसके अलावा एक अन्य केस में भी उन्हें आजीवन कारावास व जुर्माना हो रखा है। इसके साथ ही पंचकूला कोर्ट में दो अन्य केस भी विचाराधीन हैं। अब उसने पैरोल मांगा है।

जेल में आचरण अच्छा, नहीं किया कोई अपराध

सूत्रों के अनुसार, जेल अधीक्षक रोहतक की ओर से उपायुक्त को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि गुरमीत सिंह का जेल में आचरण अच्छा है और उसने किसी भी प्रकार का कोई अपराध नहीं किया। बता दें कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को दो साध्वियों के यौन शोषण के मामलों में पंचकुला स्थित सीबीआइ कोर्ट ने दोषी करार दिया था। उसे अदालत ने दोनों मामले में 10-10 साल की अलग-अलग यानि कुल 20 साल कैद की सजा सुनाई थी।   

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पैरोल मिली तो राजनीतिक इशारा कर सकता है डेरा मुखी

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने विधानसभा चुनाव से पहले 42 दिन की पैरोल मांगकर हरियाणा सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रोहतक जेल प्रशासन ने जेल में डेरा प्रमुख का आचरण अनुशासित बताते हुए पैरोल का फैसला सरकार पर छोड़ दिया है। डेरा प्रमुख हालांकि हार्डकोर अपराधी नहीं है, लेकिन उसकी पैरोल स्वीकृत करने के मामले में सरकार किसी तरह की जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है।

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हरियाणा सरकार ने रोहतक व सिरसा पुलिस-प्रशासन और खुफिया एजेंसियों से डेरा प्रमुख के बारे में तमाम तरह के इनपुट मांग लिए हैं। इन इनपुट के आधार पर ही डेरा प्रमुख को पैरोल दिए जाने पर कोई फैसला लिया जाएगा। राज्य में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव है। राम रहीम को पैरोल दिए जाने के मामले में सरकार इसलिए असमंजस में है, क्योंकि डेरा मुखी पैरोल अवधि में अपने समर्थकों को राजनीतिक इशारा भी कर सकता है।

डेरा प्रमख की ओर से पैरोल मांगे जाने के बाद डेराप्रेमी भी अचानक सक्रिय हो गए हैं। डेरा प्रमुख ने बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से सरकार से पैरोल मांगी है। पिछले चुनाव में राम रहीम के इशारे पर डेरा प्रेमियों ने खुलकर भाजपा का समर्थन किया था, लेकिन जब से डेरा प्रमुख जेल गया है, डेरा प्रेमियों में अलग ही तरह की बेचैनी है। हालांकि भाजपा बार-बार स्पष्ट कर चुकी कि डेरा प्रमुख को जेल भिजवाने में उसकी कोई भूमिका नहीं है और यदि डेरा प्रमुख को कोर्ट के आदेश पर जबरदस्ती डेरे से बाहर लाना पड़ जाता तो अधिक खून खराबा हो सकता था। लेकिन, जानकारों का कहना है कि डेरा प्रेमी भाजपा की इस दलील को ज्‍यादा भरोसा कर रहे हैं।

डेरा प्रमुख द्वारा पैरोल के लिए लगाया आवेदन अगर स्वीकार होता है तो वह अगले दो से तीन सप्ताह में जेल से बाहर आ सकता है। 15 अगस्त के आसपास डेरा सच्चा सौदा सिरसा का अंतरराष्ट्रीय वार्षिक उत्सव भी होता है, जो एक सप्ताह तक चलता है। संभावना है कि इस उत्सव में शामिल होने के लिए ही डेरा प्रमुख ने पैरोल के लिए आवेदन किया है। राज्य में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना भी सितंबर के पहले सप्ताह में जारी हो जाएगी। ऐसे में डेरा प्रमुख अंतरराष्ट्रीय वार्षिक उत्सव में भागीदारी के दौरान कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।

सजा के बाद भड़की हिंसा में मारे गए थे 46 लोग 
साध्वी यौन शोषण मामले में पंचकूला की सीबीआइ कोर्ट द्वारा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 25 अगस्त 2017 को दोषी करार दिया था। इसके बाद भड़की हिंसा में 46 लोगों की मौत हो गई थी। राम रहीम भले ही जेल में है लेकिन उसकी अनुपस्थिति में न केवल डेरा सच्चा सौदा द्वारा सामाजिक कार्य किए जा रहे हैं, बल्कि नियमित नामचर्चा का भी आयोजन हो रहा है। राज्य सरकार ने डेरा प्रमुख के जेल में होने की अवधि में कोर्ट के आदेश पर जितने नामचर्चा घर बंद किए थे, वह अधिकतर अब खुल चुके हैं और उनमें नाम चर्चा हो रही है।


पैरोल मिली तो सिरसा डेरे की ओर कूच करेंगे प्रेमी

डेरा प्रमुख राम रहीम द्वारा पैरोल के लिए आवेदन किए जाने के बाद गृह विभाग अलर्ट पर आ गया है। हरियाणा सरकार इस मामले में जहां कानूनी विशेषज्ञों की राय लेने की तैयारी में है, वहीं सरकार ने सीआइडी से इनपुट मांग लिया है। राम रहीम के बाहर आने में सरकार को कई तरह के जोखिम उठाने पड़ सकते हैं। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश में आज भी लाखों की संख्या में डेराप्रेमी सक्रिय हैं और बकायदा कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि अगर राम रहीम बाहर आता है तो उनके अनुयायी सिरसा में डेरा सच्‍चा सौदा की तरफ कूच करेंगे। यह स्थिति सरकार के लिए जोखिम भरी होगी।

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