खेतों से ज्यादा सोशल मीडिया पर दिखा टिड्डी दल का असर
पंजाब से सटे हरियाणा के खेतों में टिड्डी मिलने से किसान दहशत म
संवाद सहयोगी, डबवाली :
पंजाब से सटे हरियाणा के खेतों में टिड्डी मिलने से किसान दहशत में हैं। इसकी वजह है राजस्थान में टिड्डी दल की चपेट में आने वाली फसल के हालात। नजारा यह है कि टिड्डी दिखाई देते ही किसान बनछंटियां लेकर पीछे दौड़ पड़ता है। जब तक वह न मरे, तब तक रुकता नहीं। जिला बठिडा से सटे डबवाली के गांव चट्ठा के किसानों का दावा है कि उन्होंने बनछंटियों से टिड्डी दल को मार दिया है।
वहीं कृषि विभाग के अनुसार गांव चट्ठा, फुल्लो, देसूजोधा के अतिरिक्त तारुआना, तख्तमल, तिलोकेवाला, खतरावां, पिपली, असीर, जगमालवाली तथा खोखर आदि गांवों में खेतों का निरीक्षण किया गया था। कहीं भी टिड्डी दिखाई नहीं दी है। हरियाणा कृषि विभाग के अधिकारी राजस्थान से इनपुट जुटा रहे हैं। एसडीओ डा. अजय कुमार यादव के अनुसार पड़ोसी सूबे में लगभग टिड्डी दल का सफाया हो चुका है। कहीं इक्का-दुक्का हैं, तो वे हवा के झोंको के साथ रास्ता भटककर हरियाणा या पंजाब के खेतों में चले गए थे, अब तो वे भी खत्म हो गए हैं। निकटवर्ती पंजाब के सेखू गांव के खेतों का दौरा किया गया है, वहां भी टिड्डी नहीं है। अब तो हालात यह हैं कि कहीं एक टिड्डी दिखाई दे तो उसे मारकर सोशल मीडिया पर फोटो या वीडियो वायरल कर दी जाती है। जिससे किसानों में भय पैदा हो जाता है। इसलिए विभाग भी सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रख रहा है। कहीं कोई ऐसी सूचना जारी होती है तो वहां मौका पर पहुंचकर वास्तुस्थिति जानी जाती है। आज टिड्डी दिखाई नहीं दी गांव चट्ठा में सबसे पहले टिड्डी दल देखने वाले किसान सुखवीर सिंह उर्फ सुक्खी ने बताया कि आज टिड्डी दिखाई नहीं दी। दूसरे किसान बलकार सिंह ने बताया कि कल टिड्डी दिखी थी, जिसे बनछंटियों से मार दिया था। आज कहीं नजर नहीं आई। कुछ को बगुले खा गए। हो सकता है कि बारिश की बूंदों के कारण टिड्डी आसमान में न उड़ पाई हो। टिड्डी के बारे में अधिक ज्ञान नहीं हैं, राजस्थान के किसानों से ही पता चलता है कि पीले रंग की टिड्डी जमीन के भीतर अंडे देती है। हालांकि अभी पीले रंग की टिड्डी नहीं दिखी है। इधर परीक्षण कर रहे अधिकारी
इलाके में कहीं भी टिड्डी दल का प्रकोप नहीं। रिपोर्ट बिल्कुल निल है। मैं चौटाला-भारुखेड़ा इलाके से पांच-छह टिड्डी ले आया था। उनमें से दो मर गई हैं। जबकि तीन-चार जिदा हैं। उन पर परीक्षण चल रहा है। मेरे परीक्षण का केंद्र बिदु यही है कि टिड्डी हमारे मौसम में अनुकूल हैं या नहीं। क्योंकि 1993 के बाद टिड्डी हमारे इलाके में आई है।
::::: एसडीओ अजय कुमार यादव, कृषि विभाग डबवाली