सरकारी स्कूल की छात्राओं को मिलेगी वाहन सुविधा
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाते हुए मनोहर सरकार ने
संवाद सहयोगी, डबवाली:
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाते हुए मनोहर सरकार ने छात्रा परिवहन सुरक्षा योजना लागू कर दी है। योजना के तहत छात्राओं को पढ़ने के लिए दूसरे गांव में स्थित स्कूल तक जाने के लिए वाहन सुविधा मिलेगी। वाहन सुविधा का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। इससे उन छात्राओं को फायदा होगा, जो मनपसंद विषय पढ़ना चाहती हैं। लेकिन उनके गांव में स्थित सरकारी स्कूल में वो विषय नहीं है। घर से 3-16 किलोमीटर दूर दूसरे गांव में संबंधित विषय की सुविधा है तो वहां तक रोजाना आने-जाने के लिए छात्राओं को वाहन मिलेगा। सरकार ने इसके लिए कुछ नियम लागू किए हैं। सरकार के मुताबिक ऑटो रिक्शा, कार, वैन, सूमो, जीप, मैक्सी कैब, टाटा ऐस, मिनी बस, टैंपों ट्रेवलर, बस को शामिल किया जा सकता है। नियमानुसार अगर पहले कोई छात्रा साइकिल योजना का लाभ उठा रही है तो उसे यह सुविधा नहीं मिलेगी।
जिला शिक्षा अधिकारी करेंगे देखरेख
छात्रा परिवहन सुरक्षा योजना के संचालन का जिम्मा सरकार ने जिला शिक्षा विभाग को सौंपा है। नियमों के मुताबिक जिला शिक्षा अधिकारी समय-समय पर योजना का पर्यवेक्षण करेंगे। परिवहन विभाग के अधिकारियों के माध्यम से वाहन के पंजीकरण, वाहन चालक के वैध लाइसेंस, वाहन का बीमा आदि की जांच करेंगे। हर तीन माह बाद रिपोर्ट सरकार के सम्मुख रखेंगे। विद्यालय द्वारा लाभार्थी छात्राओं के लिए की गई बजट की मांग निदेशालय को उपलब्ध करवाने तथा बजट को संबंधित छात्रा स्तर तक पहुंचाने की जिम्मेवारी डीईओ की तय की गई हे। योजना की पात्रता
1. ऐसी छात्राएं जहां वे निवास करती हैं, उसके तीन किलोमीटर के दायरे में कक्षा 8वीं से ऊपर की शिक्षा ग्रहण करने की सरकारी विद्यालय की सुविधा नहीं है, वे इस योजना का लाभ लेने की पात्र होंगी।
2. ऐसी छात्राएं, जो विज्ञान संकाय या ऐसा विषय जो 11वीं में पढ़ना चाहती हैं, घर से तीन किलोमीटर के दायरे में उपलब्ध नहीं है, वे इस योजना का लाभ लेने की पात्र होंगी। :::::कुछ ऐसे विषय होते हैं, जिसमें छात्राओं की विशेष रुचि होती है। लेकिन घर से स्कूल की दूरी अधिक होने के कारण वह ऐसे विषयों वाले संबंधित स्कूल में दाखिला नहीं ले पाती। छात्रा परिवहन सुरक्षा योजना से ऐसी छात्राओं का भविष्य सुधरेगा। सरकार के आदेशों के बाद नियमानुसार कार्रवाई शुरु कर दी गई है।
-संत कुमार बिश्नोई, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, सिरसा