जागरण संवाददाता, सिरसा। सिंचाई के लिए नहरी पानी नहीं मिलने से किसान अंधाधुंध ट्यूबवेल के पानी से फसलों में सिंचाई कर रहे हैं। इसके लिए ट्यूबवेल के पानी की जांच भी किसान नहीं करवाते हैं। जबकि सिंचाई करने से पहले किसान ट्यूबवेल के पानी की जांच करवाना जरूरी है। ट्यूबवेल के पानी से भूमि की उपजाऊ शक्ति बिगड़ रही है। ट्यूबवेल के पानी से सिंचाई करने से भूमि की भौतिक व रासायनिक दशा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। भूमिगत जल औसतन 27 फीसद ही कृषि योग्य है।
18 फीसद सामान्य, 18 फीसद क्षारीय, 11 फीसद लवणीय व 26 फीसद लवणीय क्षारीय है। जिस पानी में विद्युत चालकता 4 हजार से कम, विनियमनशील सोडियम कार्बोनेट 2.5 से अधिक तथा सोडियम अवशोषण अनुपात 10 से अधिक हो इसे क्षारीय जल कहलाता है। इसे भूमि का प्रयोग करने से भूमि की उपजाऊ शक्ति कमजोर हो जाती है। इसका असर उत्पादन पर पड़ता है। अगर इस पानी का लंबे समय से प्रयोग किया जाता तो उत्पादन होना बिल्कुल बंद हो जाता है।
लैब में करवा सकते हैं पानी की जांच
किसान अभी गेहूं की बिजाई करने में लगे हुए हैं। इसी के साथ सरसों की बिजाई का कार्य पूरा हो चुका है। खेतों में सिंचाई करने से पहले ट्यूबवेल के पानी की जांच करवाना जरूरी है। जबकि किसान पानी की जांच नहीं करवाते
हैं। कृषि विज्ञान केंद्र में ट्यूबवेल के पानी की लैब के अंदर निशुल्क जांच की जाती है। इसके लिए किसान ट्यूबवेल को कम से कम 2 से 3 घंटे चलाने के बाद चलते पानी को बोतल में भर लें। बोर में जिस-जिस सतह पर पानी पूरा मिले। उसी सतह से पानी का नमूना अलग-अलग बोतल में भरें। ट्यूबवेल का मीठा पानी भी जमीन व फसलों के लिए हानिकारक हो सकता है, इसके लिए पानी की जांच के बाद ही सिचाई करें।
शहर में नहीं ट्यूबवेलों का पानी पीने योग्य
शहर में लगे अधिकतर ट्यूबवेलों का पानी पीने योग्य नहीं है। जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा सप्लाई किए जा रहे ट्यूबवेल के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। ट्यूबवेल के पानी में अधिक घुलनशील रसायनों (फ्लोराइड, लोह तत्व या नाइट्रेट) की अधिकता के कारण, अनुपयोगी हो चुका है। जिसके कारण ये पीने के लायक नहीं बचा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की अलग-अलग जिलों से पिछले साल सैंपल लिए गये। रिपोर्ट में भी जिले के अंदर पानी पीने लायक नहीं बताया गया। पानी में रासायनिक पैरामीटर औसतन सीमा से अधिक मिले। बढ़ रहे रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के प्रयोग ने हमारे जल के सभी स्त्रोतों तथा तालाबों, कुओं, नदियों एवं सागर को भी प्रदूषित कर दिया है।
---अगर किसान ट्यूवबेल के पानी की जांच करवाते हैं। इस पानी से लगातार सिंचाई करते हैं तो भूमि बंजर हो सकती है। इसके लिए किसान पानी की जांच करवाने के बाद ही सिंचाई करें।
डा. देवेंद्र जाखड़, सीनियर कोडिनेटर, कृषि विज्ञान केंद्र, सिरसा