300 एकड़ जमीन डिनोटिफाई करने पर भड़के किसान बोले, काली दिवाली मनाएंगे
एचएसवीपी द्वारा विकसित किए जाने वाले सेक्टर 21 व 22 पी के रिहायशी
जागरण संवाददाता, सिरसा : एचएसवीपी द्वारा विकसित किए जाने वाले सेक्टर 21 व 22 पी के रिहायशी और वाणिज्यिक क्षेत्र के लिए 2008 में अधिगृहित की गई 300 एकड़ भूमि को विभाग ने डिनोटिफाइ किए जाने के आदेश जारी किए है। इन आदेशों के विरोधस्वरूप प्रभावित किसानों ने पत्रकार वार्ता कर सरकार व विभाग पर किसानों से धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया तथा रोषस्वरूप काली दीवाली मनाने का ऐलान किया। एचएसवीपी की कार्यशैली से पीड़ित किसानों अमरइंद्रजीत ¨सह, निर्मल ¨सह, सूर्या ¨सह, पाला ¨सह, फतेह ¨सह, बलबीर ¨सह, स्वर्ण ¨सह, जसपाल ¨सह, गुरचरण ¨सह, अमरजीत ¨सह, धर्मेज ¨सह, गुर¨वद्र ¨सह, नरेंद्रपाल ¨सह, महेंद्र ¨सह व हर¨वद्र ¨सह ने बताया कि वर्ष 2008 में भूमि अधिकरण अधिनियम की धारा चार का नोटिस प्रकाशित करवाते हुए एचएसवीपी ने गांव वैदवाला, नेजाडेला कलां, खैरपुर की 300 एकड़ भूमि का अधिग्रहण की कार्रवाई की। विभाग द्वारा भूमि के कम रेट दिए जाने के विरोध में किसानों ने करीब साढ़े तीन महीने तक लघु सचिवालय के समक्ष विरोध जताया। जिसके बाद विभाग 50 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने के लिए राजी हुआ। किसानों की ओर से मुआवजा राशि बढ़ाए जाने की चल रही कानूनी प्रक्रिया में अतिरिक्त जिला जज सिरसा ने 10 मार्च 2017 को एक करोड़ प्रति एकड़ मुआवजा निर्धारित किया। किसान न्यायालय द्वारा बढ़ाई गई इस मुआवजा राशि को प्राप्त करने के लिए पिछले डेढ़ साल से अदालत में प्रयासरत हैं और विभागीय अधिकारी अदालत को गुमराह कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि हाईकोर्ट ने इस मामले में 31 अगस्त 2018 तक 96 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा किसानों के खातों में ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे। विभागीय अधिकारियों ने 31 अगस्त 2018 को ही एक पत्र जारी करके अधिगृहित की गई जमीन को डिनोटिफाई करने के आदेश दे दिए। किसानों की ओर से सुरेश मेहता एडवोकेट ने बताया कि विभागीय अधिकारियों की नीयत में खोट है। उन्होंने किसानों को बिना नोटिस दिए जमीन को डिनोटिफाई कर दिया। जबकि इसी जमीन में से 34 एकड़ भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग अथॉरिटी को देने की एवज में एक करोड़ 72 लाख रुपये प्रति एकड़ वसूली की है। विभाग द्वारा जारी पत्र में कोई स्पष्टता नहीं है। विभाग ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उन्हें जमीन की जरूरत है या नहीं। नफा नुकसान की पॉलिसी चल रही है, कहीं विभाग को ज्यादा पैसा न देना पड़े। विभाग के इस निर्णय से करीब 400 परिवार प्रभावित होंगे। वर्ष 2008 में जब विभाग ने जमीन अधिगृहित की थी, उस समय प्रॉपटी के रेटों में उछाल था और इस जमीन के भाव 4 करोड़ रुपये प्रति एकड़ थे। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा भेजे गए इस डिनोटिफाई नोटिस को चैलेंज करेंगे और रोष स्वरूप प्रभावित किसान काली दीवाली मनाएंगे।