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रंग लाने लगी दैनिक जागरण की मुहिम, किसान हुए पराली को लेकर जागरूक

संवाद सूत्र बड़ागुढ़ा दैनिक जागरण की ओर से पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाई जा रही मुहि

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 11:28 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 11:28 PM (IST)
रंग लाने लगी दैनिक जागरण की मुहिम, किसान हुए पराली को लेकर जागरूक
रंग लाने लगी दैनिक जागरण की मुहिम, किसान हुए पराली को लेकर जागरूक

संवाद सूत्र, बड़ागुढ़ा : दैनिक जागरण की ओर से पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाई जा रही मुहिम पराली नहीं जलाएंगे पर्यावरण बचाएंगे के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में जाकर किसानों के साथ पराली प्रबंधन पर चर्चा की।

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इस अवसर पर गांव बप्पां निवासी प्रगतिशील किसान अशोक कंबोज ने बताया वह पिछले कई वर्षों से धान की खेती करता है और उसने अपने खेत में बोई गई 15 एकड़ धान की फसल कटाई के बाद पराली को जलाने की बजाय प्रबंधन के तरीके अपनाए है। पराली को कटवाकर अलीकां निवासी ठेकेदार जसवीर सिंह को दे देते हैं। अशोक कंबोज ने बताया कि पराली प्रबंधन के तरीके अपनाकर वे पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा रहे हैं साथ ही उसके खेत में मित्र कीट भी नष्ट नहीं होते। अशोक कुमार ने दैनिक जागरण की ओर से चलाई मुहिम की भी सराहना की।

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पराली से मिला रोजगार

ठेकेदार जसवीर सिंह ने बताया कि उसके पास तीन ट्रैक्टर ट्राली, मशीन व पराली को इकठ्ठा करने का हेरों आदि सहित एक दर्जन मजदूर भी है। जिससे किसानों के खेतों में वे पराली को इकठ्ठा करने के बाद उसे हड़म्बा मशीन से काटकर चारे के रूप में बनाकर ट्रैक्टर ट्रालियों में भरकर पंजाब में बेच रहे हैं। इससे यहां अनेक लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है। किसानों को पराली जलानी नहीं पड़ती और उनके खेत समय पर जुताई के लिए खाली कर रहे हैं।

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किसान जागरूक होंगे तभी होगा पराली का समाधान

किसान बेअंत सिंह, गुरदीप सिंह, मनोज मेहता, त्रिलोचन सिंह, बलराज सिंह, खेरैत लाल, जगदीप सिंह, संदीप सिंह, बुध सिंह, जरनैल सिंह, राम सिंह ने बताया कि किसानों का पराली जलाने का मकसद गेहूं की फसल समय पर बोने के उद्देश्य से खेतों में पराली जलाई जाती है। लेकिन इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। उन्होंने बताया कि वैसे तो जिला प्रशासन की ओर से भी पराली जलाने वाले लोगों की पहचान कर जुर्माना लगाया जा रहा है लेकिन यह कोई स्थाई हल नहीं ,जब तक किसान खुद जागरूक नहीं हो जाते तब तक इस समस्या का समाधान करना मुश्किल काम है।

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गेहूं के अलावा जौ, चना, सरसों की कम पानी वाली फसलें भी बोये

खंड कृषि विकास अधिकारी बड़ागुढ़ा डॉ मनोहर चौधरी ने बताया कि दिनों दिन घट रहा

जमीनी जल स्तर भी चिता का विषय बन रहा है इसलिए किसानों को अधिक सिचाई से होने वाली फसलों को कम करके गेंहू के साथ साथ जौं, चना, सरसों आदि फसलों को भी बोना चाहिए। उन्होंने बताया कि धान या गेहूं आदि की फसल को तैयार करने के लिए अधिक सिचाई करनी पड़ती है, नहरी पानी की कमी के कारण किसानों को ट्यूबवेल चलाकर अपनी फसलों को पालना पड़ता है इसलिए यदि साथ में अन्य कम सिचाई वाली फसलें उगाई जाएं तो भविष्य में भी पानी की किल्लत को लेकर आने वाली समस्या का भी धीरे धीरे समाधान हो सकता है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में भूजल की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि बड़ागुढ़ा क्षेत्र के किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से सरसों का बीज निशुल्क उपलब्ध करवाकर प्रदर्शनी प्लांट के लिए बीज वितरित किया जा रहा है।


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