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पराली जलाने पर सरपंच, पटवारी, सचिव और चौकीदार से मांगा स्पष्टीकरण

गांव देसूजोधा व मांगेआना में पराली जलाने के चिन्हित स्थानों का जिला

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 05:13 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 05:13 PM (IST)
पराली जलाने पर सरपंच, पटवारी, सचिव और चौकीदार से मांगा स्पष्टीकरण
पराली जलाने पर सरपंच, पटवारी, सचिव और चौकीदार से मांगा स्पष्टीकरण

जागरण संवाददाता, सिरसा:

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गांव देसूजोधा व मांगेआना में पराली जलाने के चिन्हित स्थानों का जिला उपयुक्त प्रभजोत ¨सह ने बृहस्पतिवार को निरीक्षण किया। जिला उपायुक्त ने पराली जलाने पर सरपंच, पटवारी, सचिव और चौकीदार को नोटिस जारी के लिए निर्देश जारी किए हैं। जिसमें सरपंच, पटवारी, सचिव और चौकीदार से स्पष्टीकरण मांगा गया है।

:::ग्रामीणों से बोले डीसी कोई न जलाए अवशेष

जिला उपायुक्त ने गांव देसूजोधा के गुरुद्वारा में ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि जिले में कोई फसल के अवशेष एवं धान की पराली को न जलाएं, इसके लिए नंबरदार अपने-अपने गांव में किसानों को फसल अवशेषों के जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करें और उन्हें समझाए। उन्होंने कहा कि नंबरदार, सरपंच, चौकीदार गांव के बहुत ही जिम्मेवार नागरिक है, वह गांव की सभी जानकारी रखता है। उन्होंने कहा कि किसी प्रकार की घटना गांव में घटती है तो वे राजस्व विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों व प्रशासन को शीघ्र अवगत करवाए। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने से देखने में आया है कि जान माल का भी नुकसान हो जाता है।

उपायुक्त ने देखी पराली जली

गांवों में पराली जलाने के चिन्हित एरिया का उपायुक्त ने निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान देखा कि किसानों द्वारा पराली जलाई गई। जबकि पराली जलाने की कोई सूचना नहीं दी गई है। जिस पर जिला उपायुक्त ने दोनों गांव के सरपंच, पटवारी, सचिव व चौकीदार को नोटिस जारी कर दिया। जिसमें सभी से स्पष्टीकरण मांगा गया है।

-- बिजली लाइनों से दूर रखे फसल

जिला उपायुक्त ने कहा कि कटाई के बाद गेहूं फसल को एकत्रित करते समय बिजली लाइनों से दूर इकत्रित करे। फसल अवशेष जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए न्यायालय द्वारा भी दिशा निर्देश जारी किए गए है। इसके अतिरिक्त जिला स्तर पर एक कमेटी गठित की गई है जोकि फसल अवशेष न जले इस बात की निगरानी रखेगी। अगर किसी किसान द्वारा फसल अवशेष जलाने का मामला पाया जाता है तो उससे जुर्माना वसूला जाएगा और कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति धान के फसली अवशेषों को जलाता हुआ पाया जाता है तो वह पर्यावरण के नुकसान की भरपाई देने के लिए उत्तरदायी होगा। दो एकड़ भूमि तक हुए पर्यावरण नुकसान के लिए प्रति घटना अनुसार संबंधित से 2500 रुपये का जुर्माना वसूल किया जाएगा। इसी प्रकार दो से पांच एकड़ भूमि तक 5 हजार रुपये प्रति घटना तथा पांच एकड़ से ज्यादा भूमि पर 15 हजार रुपये प्रति घटना से जुर्माना किया जाएगा।


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