गो ज्ञान से ही गाय का सम्मान होगा : स्वामी दिव्यानंद
जागरण संवाददाता, सिरसा : जब तक गाय का वैदिक दृष्टि से ज्ञान नहीं होगा तब तक हमारे चित्त में
जागरण संवाददाता, सिरसा : जब तक गाय का वैदिक दृष्टि से ज्ञान नहीं होगा तब तक हमारे चित्त में गाय के प्रति श्रद्धा भाव से भरा सम्मान भी नहीं बन पाएगा। एक दुधारु प्राणी की भांति भले ही कोई इसके लाभ देखता रहे और लाभ उठाता भी रहे ¨कतु एक देव बुद्धि से सेवा की भावना जागृत न हो सकेगी। गो महा महोत्सव मनाने का लाभ भी तभी संभव है जब हम गाय के आध्यात्मिक और अधिदैविक स्वरुप को भी समझें। आज भारत जैसे देश में भी यदि ऋषि संस्कृति दूषित हो रही है तो कारण एक ही है कि गाय को वह सम्मान नहीं मिल रहा जो मिलना चाहिए। यह बात चौधरी देवीलाल गोशाला में आयोजित गौ महा महोत्सव में गौकथा का शुभारंभ करते हुए डॉ. स्वामी दिव्यानंद महाराज ने कहे।
उन्होंने कहा कि जीवन में यदि कुछ भी कल्याणकारी सृजन करना है तो सत्संग परमावश्यक है क्योंकि सत्संग से ही तत्व का विवेक होता है और विवेक के बाद जो श्रद्धा बनती है वह स्थायी होती है। यही श्रद्धा सेवा के रुप में साकार रुप लेती है। कभी-कभी तो आश्चर्य होता है कि गौवंश संवर्धन के इतने लाभ होते हुए भी इतनी उपेक्षा हो रही है गौ पालन में। कुछ सरकारें तो जानते समझते हुए यह सोच बैठी हैं कि यदि उन्हें गौ संवर्धन का मुद्दा उठाया तो कोई उन्हें साम्प्रदायिक न मान बैठे, जबकि गौवंश की संभाल और इसका सदुपयोग आध्यात्मिक व आर्थिक उन्नति के विकास का सर्वोत्कृष्ठ विज्ञान है। गाय ने ही मानव जीवन को नव रुप प्रदान किया है। गोशाला के सरंक्षक कश्मीरी लाल नरुला ने डा. स्वामी दिव्यानंद का पुष्प गुच्छ के साथ अभिनंदन किया। मुख्य यजमान मा. रोशन लाल गोयल, सतीश गोयल, गोशाला के प्रधान एडवोकेट संजीव जैन, डा. अमित नारंग, सुभाष चंद्र वर्मा, अशोक मित्तल, सुनील मित्तल, सुमित नारंग, रामबिलास धानुका, कुंज बिहारी, दीपक गर्ग, संदीप गर्ग सुनाम, जगदीश चंद्र, संजीव गोयल, डा. एसपी गर्ग, संतलाल गुम्बर, सतीश गर्ग, राकेश ¨सगला शामिल थे।