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यादें: ताऊ देवीलाल के करीबी के खिलाफ प्रचार करने डबवाली आए थे बूटा सिंह

संवाद सहयोगी डबवाली पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री बूटा सिंह का निधन हो गया। डबवाली से उनका गह

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Jan 2021 05:25 AM (IST)Updated: Sun, 03 Jan 2021 05:25 AM (IST)
यादें:  ताऊ देवीलाल के करीबी के खिलाफ प्रचार करने डबवाली आए थे बूटा सिंह
यादें: ताऊ देवीलाल के करीबी के खिलाफ प्रचार करने डबवाली आए थे बूटा सिंह

संवाद सहयोगी, डबवाली : पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री बूटा सिंह का निधन हो गया। डबवाली से उनका गहरा नाता था। खासकर पूर्व विधायक स्व. गोवर्धन दास चौहान के परिवार से संपर्क रहा। वर्ष 1982 में चौ. देवीलाल के करीबी मनी राम के विरुद्ध कांग्रेस से गोवर्धन दास ने चुनाव लड़ा तो बूटा सिंह उनके समर्थन में चुनाव प्रचार करने डबवाली आए थे। दो दिन तक उन्होंने पंजाबी बेल्ट में प्रचार किया। खासकर मसीतां, मौजगढ़, मटदादू तथा अलीकां के साथ-साथ जगमालवाली बेल्ट में उनके प्रचार का अच्छा खासा प्रभाव पड़ा। जिसकी बदौलत चौहान चुनाव जीतने में सफल रहे। इसके बाद वर्ष 1995 में डबवाली अग्नि त्रासदी के दौरान वे तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल के साथ शहर में आए थे। उन्होंने अग्नि पीड़ितों के साथ दु:ख सांझा किया था।

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बूटा सिंह के नजदीकी रहे डबवाली निवासी भोला राम शर्मा ने बताया कि किसी जमाने कांग्रेस का चुनाव निशान गौ बछड़ा हुआ करता था। वर्ष 1977 में चुनाव चिन्ह सीज हो गया था। पूर्व तब श्रीमति इंदिरा गांधी ने चुनाव चिन्ह तय करने की जिम्मेवारी बूटा सिंह को सौंपी थी। कांग्रेस का आज जो चुनाव चिन्ह है, वह बूटा सिंह की बदौलत है। वे 1979 में वे रोपड़ से चुनाव लड़कर सांसद बने थे। गांधी परिवार के करीब होने पर वे केंद्रीय खेल मंत्री बने थे। ज्ञानी जैल सिंह के राष्ट्रपति बनने पर उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री बनाया गया था। वर्ष 1984 में राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने, उस समय भी वे केंद्रीय गृह मंत्री बनाए गए थे। वर्ष 1991-96 में नरसिम्हा राव की सरकार में केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री बनाए गए थे। ----जब कांग्रेस ने टिकट नहीं दी भोला राम शर्मा के मुताबिक बूटा सिंह कई बार डबवाली आए थे। वे राजनीतिक सफर को सांझा करते रहते थे। राजनीतिक सफर में कई दिलचस्प पहलू सामने आए थे। वर्ष 1999 में कांग्रेस ने टिकट नहीं दी तो वे जालौर (राजस्थान) से निर्दलीय चुनाव लड़े थे। उन्होंने तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण बंगारु को पटखनी दी थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से अच्छी मित्रता होने के कारण वाजपेयी सरकार ने उन्हें केंद्रीय दूरसंचार मंत्री का पद दिया था। वे बिहार के राज्यपाल नियुक्त हुए थे।


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