गांव की पहचान का मामला : एफसीआर के पत्र का जवाब देने में बीत गए 20 साल
राजस्व विभाग के अधिकारी करीब दो दशक से हरकत में नहीं थे। पंजाब ए
संवाद सहयोगी, डबवाली:
राजस्व विभाग के अधिकारी करीब दो दशक से हरकत में नहीं थे। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने फटकार लगाई तो कमियों को दूर करने में जुट गए। मामला सिरसा के उपनगर डबवाली की ढाणी राजपुरा माजरा का है। जिसे एफसीआर ने 31 दिसंबर 1999 को गांव नया राजपुरा बनाया था। मार्च 2000 में हिसार के कमिश्नर को पत्र भेजकर गांव के लिए तय किए गए रकबा के संबंध में करेक्शन या कमी को दूर करने के लिए कहा था। कमियां दूर करने की अपेक्षा राजस्व विभाग के अधिकारी एफसीआर के पत्र पर कुंडली मारकर बैठ गए। गांव को पहचान दिलाने के लिए ग्रामीणों ने कई मांग पत्र सौंपे। अधिकारियों ने सुनवाई तक नहीं की। आखिरकार वर्ष 2018 में सरपंच दर्शना देवी तथा ग्रामीणों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाई कोर्ट की फटकार के बाद बृहस्पतिवार को डीआरओ राजेंद्र जांगड़ा, तहसीलदार राजेंद्र प्रसाद, बीडीपीओ बलराज सिंह ढाणी राजपुरा माजरा पहुंचे (राजपुरा माजरा पंचायत)। वहां ग्राम सभा की बैठक बुलाई। बैठक में ग्रामीणों ने कहा कि पंचायत राजपुरा माजरा के नाम पर बनी हुई है। मतदाता सूची भी ढाणी राजपुरा माजरा के नाम से बनी है। अधिसूचना के अनुसार नया राजपुरा को नया हदबस्त नं. 329 अलॉट किया गया था। इसलिए शुद्धि पत्र जारी करते समय उक्त तथ्यों के आधार पर इसका नाम राजपुरा माजरा रखा जाए। पहले से अलॉटशुदा हदबस्त नं. 329 रखा जाए। ग्रामीणों के अनुसार एफसीआर के आदेशों पर कार्य हो जाता तो सालों पहले गांव को खुद की पहचान मिलती है। गांव का पटवारी होता, साथ ही बैंकिग, स्वास्थ्य तथा अन्य मूलभूत सुविधाएं होती। इस समय ग्रामीण नजदीकी गांव अबूबशहर पर निर्भर हैं।
अधिकारियों के अनुसार गांव अबूबशहर का कुल रकबा 8338 एकड़ 4 मरले है। इस रकबा में से 2461 एकड़ छह कनाल 14 मरला रकबा ग्राम पंचायत राजपुरा माजरा के कब्जे में है। इस रकबा में ग्राम पंचायत का रकबा शामिल है। जबकि ग्राम पंचायत की भूमि राजस्व रिकॉर्ड में अबूबशहर के नाम से ही दर्ज है। 20 साल बाद रिकॉर्ड में हुई तब्दिलियों की रिपोर्ट अधिकारी शुक्रवार को चंडीगढ़ में होने वाली बैठक में पेश करेंगे। रकबा संबंधी कमियों को दूर करने के लिए सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। जिसमें उपमंडलाधीश, डीआरओ तथा मैं शामिल था। कमियों को दूर कर दिया गया है। शुद्धि के बाद रिपोर्ट कल एफसीआर के समक्ष पेश की जाएगी, ताकि पुन: अधिसूचना जारी हो सकें। ग्रामीणों ने गांव का नाम राजपुरा माजरा रखने की मांग की है, इस संबंध में ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित किया है। अधिसूचना में नया राजपुरा लिखा जाएगा या गांव राजपुरा माजरा यह सरकार पर निर्भर है। चूंकि वर्ष 1999 में गांव नया राजपुरा के नाम से अधिसूचना जारी हुई थी।
-तहसीलदार राजेंद्र कुमार, डबवाली