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गीले कचरे से बनेगी घर-घर बायो गैस, तरल खाद बढ़ाएगा गमलों की हरियाली

शहरी क्षेत्र में गीले कचरे से मुफ्त में बायो गैस बना सकेंगे। इससे लोगों की जेब पर पड़ने वाले गैस के खर्चे से कुछ हद तक राहत मिल सकती है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 08:16 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 08:16 AM (IST)
गीले कचरे से बनेगी घर-घर बायो गैस, तरल खाद बढ़ाएगा गमलों की हरियाली
गीले कचरे से बनेगी घर-घर बायो गैस, तरल खाद बढ़ाएगा गमलों की हरियाली

अरुण शर्मा, रोहतक

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शहरी क्षेत्र में गीले कचरे से मुफ्त में बायो गैस बना सकेंगे। इससे लोगों की जेब पर पड़ने वाले गैस के खर्चे से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। दावा किया गया है कि छह से आठ किग्रा गीले कचरे से दो घंटे तक उपयोग होने वाली बायो गैस तैयार कर सकेंगे। इसके साथ ही इसी गीले कचरे से तरल खाद भी तैयार हो सकेगा। इस खाद का उपयोग होम गार्डेनिग जैसे गमलों, पार्क में किया जा सकेगा। नगर निगम ने गुरुग्राम की एक निजी एजेंसी की मदद से होम कंपोस्टिग एवं बायो गैस सिस्टम लगवाने की योजना तय की है। ट्रायल के तौर पर पांच-छह संस्थानों में बायो गैस सिस्टम लगवाने की योजना बनाई है।

स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 के लिए नगर निगम ने टॉप-10 शहरों में शामिल होने के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। शहरी जनता को जागरूक करने के लिए निगम ने शहरी क्षेत्र के 96 हजार घरों के लिए रोडमैप तैयार किया है। गुरुग्राम की एक निजी एजेंसी की मदद से संयुक्त परिवारों के घरों, ढाबों और डेरों में होम कंपोस्टिग सिस्टम लगवाने की योजना बनाई है। इससे सौ फीसद गीले कचरे का निष्पादन होगा। सूखा कचरा भी अलग करने में मदद मिलेगी। नगर निगम के आयुक्त प्रदीप गोदारा ने बताया कि गुरुग्राम की निजी एजेंसी के अधिकारियों के साथ बुधवार को अहम बैठक हो चुकी है। निजी एजेंसी की एक टीम घरों में पहुंचकर खाद और बायो गैस बनाने का प्रशिक्षण देगी। लोगों को प्रशिक्षण के दौरान बायो गैस और खाद बनाने का मॉडल भी दिखाया जाएगा। निजी एजेंसी की एक टीम में तीन सदस्यों सहित कुल 10 कर्मचारियों की टीम गठित कर दी है।

सिस्टम लगवाने के लिए 50 हजार करने होंगे खर्च

आयुक्त ने बताया कि होम कंपोस्टिग, बायो गैस सिस्टम लगवाने के लिए शुरुआत में करीब 50 हजार रुपये का खर्चा आएगा। संबंधित सिस्टम में रसोई से निकलने वाले गीले कचरे जैसे सब्जियों के छिलके, बासी सब्जियां, भोजन के अवशेष , सब्जियों के पत्ते आदि होम कंपोस्टिग, बायो गैस सिस्टम के ड्रम में डालेंगे। बगैर बिजली-ईंधन के यह सिस्टम बायो गैस का उत्पादन करेगा। घरों में लगने वाले सिस्टम के ड्रम में गीला कचरा डालने के महज दो घंटे के अंदर तरल खाद तैयार होगा।

छोटे ढाबों, संयुक्त परिवार वाले घरों व डेरों में होगा ट्रायल

आयुक्त ने बताया कि सिस्टम संयुक्त परिवारों वाले घरों, छोटे ढाबों और डेरों के लिए सबसे प्रभावी है। यहां से हरा कचरा सबसे अधिक निकलता है, इसलिए निष्पादन की भी यहीं अधिक जरूरत है। ट्रायल के लिए हमारी तीन डेरों, दो ढाबों व एक उद्यमी के साथ वार्ता चल रही है।

बड़े बायो गैस प्लांट पर भी मंथन

भविष्य की जरूरत को बताते हुए यह भी तय किया गया है कि बड़े बायो गैस प्लांट का निर्माण हो। आयुक्त ने बताया कि 20 टन क्षमता के बायो गैस प्लांट के लिए करीब चार करोड़ रुपये के बजट की जरूरत होगी। इसलिए इस योजना के लिए भी सरकार से मंजूरी मांगी जाएगी। वहीं, अगले माह से प्रशिक्षण भी शुरू किया जाएगा।


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