महम के खेतों में जलजमाव, खड़ी फसल बर्बादी की ओर
संवाद सहयोगी महम क्षेत्र के अनेक गांवों के खेतों में बारिश का पानी जमा रहने के कारण ख
संवाद सहयोगी, महम : क्षेत्र के अनेक गांवों के खेतों में बारिश का पानी जमा रहने के कारण खेतों में खड़ी फसल खराब होने लगी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बारिश कुछ दिनों तक ओर चली तो लगभग फसल खराब हो जाएगी। जिससे किसानों को भारी नुकसान हो सकता है। इस समय खेतों में कपास, बाजरा, ज्वार, गन्ना व धान की फसल खड़ी है। जिसमें से लगभग 50 फीसद फसल खराब होने का अनुमान है। प्रशासन की ओर से बार-बार प्रयास के बावजूद खेतों में जमा पानी को नहीं निकाला जा रहा है। खेतों के पानी को निकालने की कोशिश की जाती है तो बारिश के कारण काम बंद हो जाता है। बारिश का बार-बार आना चिताएं बढ़ा रहा है। खंड महम के कृषि अधिकारी संदीप नांदल ने बताया कि इस समय महम क्षेत्र में साढे 16 हजार एकड़ में कपास की फसल की बिजाई की हुई है। जिसमें से लगभग 40 फीसदी एरिया में कपास 75 फीसदी से अधिक नुकसान हो चुका है। बारिश नहीं रुकती है तो लगभग फसल समाप्त हो सकती है। वहीं, ज्वार व बाजरा की फसल लगभग ढाई हजार एकड़ में है। अब तक 60 फीसदी फसल के खराब होने की आशंका है। धान की खेती के लिए क्षेत्र में 40 से 42 हजार एकड़ जमीन में बिजाई की है। बारिश एक या दो दिन और चल जाती है तो धान में भी नुकसान होना संभव है। वहीं गन्ने की बिजाई लगभग 10 हजार एकड़ में की गई है। जिसमें खड़े पानी की निकासी समय पर नहीं हो पाई तो 10 से 15 फीसदी नुकसान गन्ने की खेती में भी हो सकता है।
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किसानों ने की गिरदावरी की मांग
क्षेत्र के किसान राजकुमार, कृष्ण लाल, मांगेराम, सतीश, सुनील कुमार, जय लाल, दीवान सिंह, राजाराम, मनोज कुमार, सुंदर सिंह, राम सिंह, राजकुमार, किताब सिंह, सुंदर सिंह, करण सिंह ने कहा कि किसान हर तरफ से मार के चपेट में है। सरकार को खराब हुई फसल की जल्द से जल्द गिरदावरी करवाकर उचित मुआवजा दिलवाया जाना चाहिए ताकि उनके नुकसान की कुछ भरपाई हो सके।
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सिचाई विभाग की ओर से हर क्षेत्र में पानी निकासी के पंप लगाए हुए हैं, जो पानी निकाल भी रहे हैं। लेकिन जितना भी पानी निकाला जा रहा है साथ साथ बारिश होने के कारण भरता जा रहा है। ड्रेन ओवर फलो होने के कारण भी पानी को निकालने में परेशानी आ रही है। बंद हो जाती है तो लगभग एक सप्ताह में पानी को निकाला जा सकता है।
- दिनेश कुमार, एसडीओ, सिचाई विभाग।