सोच बदली तो आंगन में उतरीं परियां, महक उठी बाबुल की बगिया
हरियाणा में आसमां से उतरीं नन्ही परियों को बाबुल की गोद मिल रही हैं। लावारिस छोड़ दी गईं बेटियों को अपनाने के लिए लोग आगे आ रहे हैं। यह समाज की नई सोच को दिखा रहा है।
रोहतक, [बृजेश कुमार मिश्र]। कभी कन्या भ्रूण हत्या और बेटियों के प्रति दकियानूसी सोच के लिए बदनाम रहे हरियाणा में 'बेटी बचाआे-बेटी पढ़ाओ' अभियान अब रंग दिखाने लगा है। राज्य में समाज की सोच तेजी से बदल रही है। शहजादों से ज्यादा चाहत अब आंगन में परियों के चहचहाने की है। यही वजह है कि लावारिस छोड़े गए बच्चों को गोद लेने में लोग बेटियों का प्राथमिकता दे रहे हैं।
रोहतक में अभी तक जितने भी बच्चे गोद लिए गए हैं, उनमें 60 फीसद बेटियां हैं। गोद लेने वाले लोग भी ऐसे हैं, जिनके अब तक कोई संतान नहीं थी और उन्होंने पहली संतान के रूप में बेटी को ही तरजीह दी। आसमां से उतरीं ये परियां अब बाबुल के आंगन में चहचहा रही हैं। उनके अभिभावक बड़े प्यार-दुलार अौर नाज से अपनी गुडि़या की जिंदगी संवारने में लगे हैं।
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अधिकारी बताते हैं कि रोहतक में 13 लोग अभी बच्चों को गोद लेने का इंतजार कर रहे हैं। इनके अतिरिक्त, पांच अभिभावक ऐसे हैं, जो अभी प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए हैं। हालांकि उन्होंने रजिस्ट्रेशन करा लिया है। इनमें से भी अधिकतर लोगों ने बेटियों को गोद लेने की इच्छा जताई है। रोहतक में एडॉप्शन एजेंसी न होने के कारण गोद लेने वाले लोगों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है।
बता दें कि लावारिस मिलने वाले नवजात शिशुओं को बाल संरक्षण इकाई में भेज दिया जाता है। जहां उसकी देखभाल होती है। अगर कोई व्यक्ति दो महीने के भीतर बच्चे पर अपना दावा नहीं करता है तो उसे गोद देने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है।
रोहतक की बाल संरक्षण अधिकारी पूनम बताती हैं कि इस वर्ष अब तक 10 लोग बच्चों को गोद ले चुके हैं। इनमें से छह ने बेटियों को गोद लेना पसंद किया। ये सभी अभिभावक सुशिक्षित हैं। इसलिए वे बेटे और बेटी में किसी प्रकार का फर्क नहीं करते हैं। इससे बेटियों को गोद लेने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
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ताकि बेटी को पता न चले
बेटी को गोद लेने वाले एक दंपती से जब (जागरण ने बात की तो उन्होंने अपना नाम बताने से इन्कार कर दिया और यह हिदायत भी दी कि हमारे पहचान को उजागर करने के वाली बात छपनी भी नहीं चाहिए। वह हमारी बेटी है, हमारी। उनका कहना था कि हम नहीं चाहते कि हमारी बेटी को बड़ी होकर यह पता चले कि वह गोद ली गई है और हम उसके माता-पिता नहीं हैं। हम उसकी परवरिश मेें कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और उसके सपनों को उड़ान देने के लिए जो भी बन पड़ेगा, करेंगे।