इन्हें महात्मा गांधी, नेहरू और इंदिरा गांधी ने पढ़ाया था मतदान का पाठ
अरुण शर्मा, रोहतक निकाय चुनाव में मतदान के उत्सव में सभी सराबोर दिखे। प्रत्याशियों से लेकर
अरुण शर्मा, रोहतक
निकाय चुनाव में मतदान के उत्सव में सभी सराबोर दिखे। प्रत्याशियों से लेकर मतदाता तक उत्साहित दिखे। हालांकि कुछ ऐसे भी मतदाता मतदान करने पहुंचे, जिन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देश के पहले प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने मतदान का पाठ पढ़ाया था। खास बात यह है कि कोई महात्मा गांधी की टीम में शामिल रहा तो किसी का पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी से परिवारिक संबंध रहे। रविवार को जब मतदान करने पहुंचे तो यही नसीहत दी कि अब चुनाव में मुद्दे नहीं हैं, द्वेष ज्यादा दिखाई देता है। मतदाता इसलिए मतदान से जी चुराने लगे हैं। यह हैं तीन किस्से :::
1. मतदान नहीं करने के लिए इंदिरा गांधी के सामने कहा तो मिली थी डांट
धोबी मोहल्ला निवासी 80 वर्षीय राजदुलारी का मायका मुरादाबाद(उत्तर प्रदेश) में है। राजदुलारी के पिता रामचरणदास स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ काम किया। दोनों ही परिवारों में परिवारिक संबंध थे। 1947 में राजदुलारी अपने पिता के साथ जालंधर जवाहरलाल नेहरू से मिलने गईं तो बेटी की तरह दुलारा था। इंदिरा गांधी को यह आज भी बुआ कहती हैं। इनका कहना है कि उस दौरान राजनीति का पाठ उन्होंने पढ़ाया था। इसके बाद करीब 40-45 साल पहले हरिद्वार में इंदिरा गांधी ने बुलाया था। उस दौरान चुनाव निकट ही थे और मतदान करने से इन्कार किया, इसलिए बुआ यानि इंदिरा गांधी ने डांट लगाई थी।
2. राजदुलारी के पति हरीशचंद्र मंगलसेन के साथ रहे
राजदुलारी के 90 वर्षीय पति हरीशचंद्र मदान डा. मंगलसेन के साथ रहे। उनके सबसे करीबियों में माने जाते हैं। खास बात यह है कि राजदुलारी नेहरू व इंदिरा गांधी की समर्थक हैं, जबकि पति डा. मंगलसेन के। हरीशचंद्र अभी तक करीब 75 और पत्नी राजदुलारी 70 बार मतदान कर चुकी हैं। हरीशचंद्र कहते हैं कि डा. मंगलसेन मतदान को सबसे बड़ा पर्व बताते थे। यही कारण है कि कभी मतदान को मिस नहीं किया। सभी काम छोड़कर हमेशा मतदान किया व युवाओं को यही नसीहत दी।
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3. महात्मा गांधी की टीम में मित्रसेन रहे शामिल
रेलवे रोड निवासी 90 वर्षीय मित्रसेन लोहिया ने सबसे पहले 1952 में मतदान किया था। इनका कहना है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित श्रीराम शर्मा की टीम में काम करते थे। उसी दौरान लगातार महात्मा गांधी से मिलने का मौका मिला। जब महज 20 साल के थे तब गांधी जी से दिल्ली में मिलने का मौका मिला। सुभाष चंद्र बोस से भी मिले। इनका कहना है कि गांधी जी ने सिर पर हाथ फेरते हुए ईमानदार राजनीति का साथ देने की सीख दी थी।