ये हैं Coronavirus के खिलाफ जंग के योद्धा, सेवा में छोड़ा द्वार, कर्मस्थली ही इनका घर-बार
कोरोना वायरस संक्रमण की जांच करने वाले चिकित्सक एक सप्ताह से लैब में सो रहे हैं। कई चिकित्सकों की घरेलू सहायिकाएं भी नौकरी छोड़ चुकी हैं।
रोहतक [पुनीत शर्मा]। Coronavirus COVID-19 से देश और समाज को बचाना है। बस यही इनका लक्ष्य है। बच्चों, घर-परिवार को छोड़ बस अपने कर्म को ही प्रधान बना लिया है। हम बात कर रहे हैं वीआरडीएल (Viral Research Diagnostic Laboratory) में कार्यरत चिकित्सकों और स्टाफ की। कोरोना वायरस के आशंकित और संक्रमित मरीजों की जांच रिपोर्ट तैयार करने में में दिन-रात एक कर दिया है। करीब दो सप्ताह से काम अधिक होने के चलते घर भी नहीं जाते हैं और देर रात तक काम करने के बाद लैब में ही सो जाते हैं।
इसके अलावा कई चिकित्सकों ने कहा कि जैसे ही उनके घर में काम करने के लिए आने वाली घरेलू सहायिका को रिसर्च लैब में काम करने का पता चला, वैसे ही वह नौकरी छोड़कर चली गई। पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (PGIMS) की VRDL Laboratory में कोरोना के मरीजों की जांच की जा रही है। लैब इंचार्ज डॉ. परमजीत सिंह गिल के नेतृत्व में करीब 16 चिकित्सक, साइंटिस्ट और अन्य स्टाफ दिन-रात एक करके जांच रिपोर्ट तैयार करने में लगा हुआ है।
दो सप्ताह पहले तक काम का उतना बोझ नहीं था, लेकिन प्रदेश के विभिन्न इलाकों में छिपे जमातियों के सामने आने के बाद से वर्कलोड काफी बढ़ गया। ऐसे में चिकित्सकों और साइंटिस्ट ने भी पीछे न हटते हुए दिन-रात काम करने का जिम्मा उठाया और किया भी जा रहा है। जिसके चलते सभी मरीजों की जांच रिपोर्ट समयावधि में ही उन्हें पहुंचाई जा रही है। डॉ. गिल के मुताबिक विभिन्न जिलों से आए सैंपल को अधिकतम 48 घंटे तक तीन से आठ डिग्री तापमान में रख सकते हैं।
हालांकि उन्होंने बताया कि इस समयावधि से पहले ही प्राप्त सैंपलों को जांच के लिए लगा दिया जाता है, जिसके चलते अभी तक कोई भी सैंपल खराब नहीं हुआ और न ही संबंधित चिकित्सकों से दोबारा मंगाया गया है। किसी की नौकरानी ने छोड़ा काम, परिजन भी चिंतित लैब में कार्यरत चिकित्सकों ने बताया कि उनके घर में काम करने के लिए नौकरानी आती थी। जैसे ही नौकरानी को पता चला कि वह कोरोना वायरस की टेस्टिंग लैब में कार्य करते हैं, वैसे ही उसने काम पर आने से मना कर दिया। इसके अलावा उनके परिजन भी चिंतित हैं कि उनके बच्चे जान दांव पर लगाकर मरीजों की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि परिजन गर्व भी महसूस कर रहे हैं, क्योंकि ऐसे में समय में जब देश को जरूरत पड़ी है तो वह मदद भी कर रहे हैं।
तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों के सामने आने पर काम का बोझ अधिक
वीआरडीएल के इंचार्ज प्रो. परमजीत सिंह गिल का कहना है कि सभी चिकित्सक दिन-रात मेहनत कर मरीजों की जांच रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों के सामने आने पर काम का बोझ अधिक हुआ। जिसके चलते कई दिनों तक चिकित्सकों ने घर भी जाने से इन्कार करते हुए कार्य किया था। इसके लिए सभी चिकित्सक बधाई के योग्य हैं। मरीजों की सुविधा के लिए जल्द ही दो अन्य मशीन भी जांच के लिए पीजीआइ पहुंच जाएंगी। जिससे जांच की क्षमता बढ़ जाएगी।
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