कालेज जाने की राह होगी सुरक्षित, चौराहे होंगे डिजाइन
स्विट्जरलैंड के बॉटनार प्रोजेक्ट के फेज-2 के तहत कालेज के बच्चों का सफर सुरक्षित बनाया जाएगा। फेज-2 के ट्रायल की खास बात यह होगी कि इसमें इंजीनियरिग या अन्य कोर्स के बच्चे भी डिजाइन तैयार कर सकते हैं।
जागरण संवाददाता, रोहतक : स्विट्जरलैंड के बॉटनार प्रोजेक्ट के फेज-2 के तहत कालेज के बच्चों का सफर सुरक्षित बनाया जाएगा। फेज-2 के ट्रायल की खास बात यह होगी कि इसमें इंजीनियरिग या अन्य कोर्स के बच्चे भी डिजाइन तैयार कर सकते हैं। इस तरह का डिजाइन होना चाहिए कि घर से लेकर कालेज का सफर कैसे सुरक्षित किया जाए। यानी कि कौन सा रूट सुरक्षित है, कहां स्टापेज होना चाहिए और रास्ते में पड़ने वाले चौराहों को कैसे डिजाइन किया जाए, जिससे कालेज के बच्चों का पैदल, स्कूटी या बाइक का सफर सुरक्षित हो सके। यानी कि रोड सेफ्टी के उद्देश्य से यह डिजाइन तैयार किया गया हो। बच्चों द्वारा तैयार किए गए डिजाइन को सरकार के पास भेजा जाएगा, साथ ही स्थानीय स्तर पर पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के साथ भी मंथन किया जाएगा। अधिकारियों की अनुमति मिलने के बाद यदि वह कामयाब लगता है तो उसी अनुसार चौराहे और रास्तों को डिजाइन किया जाएगा। फेज-2 के ट्रायल के लिए प्रोजेक्ट देख रहे अधिकारियों ने उपायुक्त से बातचीत की है। संभावना है कि अगले साल के शुरुआत में फेज-2 का ट्रायल शुरू हो सकता है।
यह है प्रोजेक्ट
मई 2018 में शहर में स्विट्जरलैंड के बॉटनार फाउंडेशन का प्रोजेक्ट ट्रायल के तौर पर शुरू किया गया था। भारत में इस प्रोजेक्ट की देखरेख की जिम्मेदारी विश्व संसाधन संस्थान को दी गई है। प्रोजेक्ट का उद्देश्य है कि शहर के उन मुख्य चौराहों को इस तरीके से डिजाइन किया जाए, जिससे स्कूली बच्चे सुरक्षित सफर कर सके। भले ही वह पैदल हो या साइकिल पर। फेज-1 में स्कूली बच्चों के लिए शहर की 13 किलोमीटर सड़क का चयन किया गया है। इसका ट्रायल नया बस स्टैंड, ताऊ देवीलाल पार्क, दिल्ली बाईपास और मेडिकल मोड़ पर हो चुका है। फरवरी माह के आखिर में सोनीपत स्टैंड पर शुरू हुआ था। ट्रायल सफल होने के बाद नए बस स्टैंड पर इसे स्थाई तौर पर लागू करने के लिए इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को दे दी गई है। इसका टेंडर भी कर दिया गया है। कुछ समय बाद यहां पर स्थाई तौर पर डिवाइडर, ट्रैफिक आइलैंड और फुटपाथ आदि बनाए जाएंगे। वर्जन
प्रोजेक्ट एसोसिएट वैभव कुश ने बताया कि फेज-1 में स्कूली बच्चों के सफर को ध्यान में रखते हुए ट्रायल किया गया था। जो काफी हद तक सफल रहा। हालांकि कोरोना संक्रमण की वजह से अभी स्थाई तौर पर लागू नहीं हो सका। अब फेज-2 के लिए जिला प्रशासन से बातचीत की गई है। इस ट्रायल का उद्देश्य कालेज के बच्चों का सफर सुरक्षित बनाना होगा। ट्रायल के लिए इंजीनियरिग के बच्चों की भी मदद ली जाएगी।