Move to Jagran APP

ओलंपिक कोटा पाने वाले सुमित का जीवन रहा है संघर्ष भरा

टोक्यो ओलंपिक के लिए कुश्ती में सातवां कोटा दिलाने वाले 28 वर्षीय सुमित मलिक का सफर कोई आसान नहीं रहा। कदम-कदम पर कठिनाइयां आई लेकिन हौसले और जज्बे को कम नहीं होने दिया। 20 दिन का था तब मां का निधन हो गया। बचपन ननिहाल में बीता। फिर मौसी यानि दूसरी मां वापस गांव ले गई। लेकिन गांव का माहौल ठीक नहीं था रंजिश के चलते रोज खून-खराबा होता था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 08:01 AM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 08:01 AM (IST)
ओलंपिक कोटा पाने वाले सुमित का जीवन रहा है संघर्ष भरा
ओलंपिक कोटा पाने वाले सुमित का जीवन रहा है संघर्ष भरा

ओपी वशिष्ठ, रोहतक : टोक्यो ओलंपिक के लिए कुश्ती में सातवां कोटा दिलाने वाले 28 वर्षीय सुमित मलिक का सफर कोई आसान नहीं रहा। कदम-कदम पर कठिनाइयां आई, लेकिन हौसले और जज्बे को कम नहीं होने दिया। 20 दिन का था, तब मां का निधन हो गया। बचपन ननिहाल में बीता। फिर मौसी यानि दूसरी मां वापस गांव ले गई। लेकिन गांव का माहौल ठीक नहीं था, रंजिश के चलते रोज खून-खराबा होता था। सुमित पर इसका गलत प्रभाव न पड़े, इसलिए मां ने वापस ननिहाल में छोड़ने का फैसला लिया। मामा पहलवानी करते थे। उसे अखाड़े में कुश्ती करते देख सुमित ने भी पहलवान बनने का निर्णय लिया। कुश्ती के प्रति जूनून और लगन से ही बुल्गारिया के सोफिया में आयोजित विश्व कुश्ती ओलंपिक क्वालिफायर में सुमित ने देश को कोटा दिलाया है। रोहतक के गांव कारोर में सुमित मलिक का जन्म नौ जनवरी 1993 में साधारण किसान परिवार में हुआ। पिता किताब सिंह खेती-बाड़ी करते हैं। सुमित को जन्म देने के 20 दिन बाद मां सुनीता का निधन हो गया। नाना कंवल सिंह सुमित को अपने गांव दिल्ली के दरियापुर ले गए। यहां नानी अंगूरी देवी ने परवरिश की। सुमित के भविष्य को देखते हुए नाना ने अपनी छोटी बेटी अनिता की शादी किताब सिंह के साथ करने का निर्णय लिया। लेकिन सुमित को अपने पास ही रखा। जब दो-तीन साल का तो मौसी यानि मां अनिता वापस गांव कारोर ले गई। यहीं गांव में पढ़ाई शुरू की। लेकिन गांव में उस वक्त दो गुटों में रंजिश थी। रोज खून-खराब होता था। इसलिए अनिता ने सुमित को बेहतर भविष्य को देखते हुए ननिहाल में भेजने का फैसला लिया। मामा नरेंद्र को अखाडे में देखकर सीखें दांव-पेंच मामा नरेंद्र सहरावत पहलवानी करते थे। सुमित भी उसे अखाड़े में देखता था। धीरे-धीरे वह भी पहलवानी करने लगा। मामा नरेंद्र ने पूरा सहयोग किया। नरेंद्र बाद में अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान बने। नरेंद्र की सीआरपीएफ में कुश्ती के आधार पर नौकरी लग गई। सुमित को दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में महाबली सतपाल और ओलंपिक पदक विजेता सुशील के पास प्रैक्टिस करने के लिए छोड़ दिया। नरेंद्र सहरावत सीआरपीएफ में डिप्टी कमांडेंट हैं और कुश्ती टीम के इंचार्ज व कोच की जिम्मेदारी भी हैं, जिसके कारण सुमित उनके मार्गदर्शन लेता रहा। करियर के शिखर पर कमर, ऐन वक्त पर घुटने ने दिया दगा सुमित एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल कर रहा है। इसी बीच 2015 में कमर में दर्द हो गया। चिकित्सकों ने आपरेशन बोल दिया। एक बार लगा कि सुमित का कुश्ती करियर अब खत्म हो जाएगा। लेकिन उसने आपरेशन के एक साल बाद फिर प्रैक्टिस शुरू कर दी। खुद को फिर से कुश्ती के लिए तैयार किया और कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीतें। 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड हासिल किया। इसी साल सरकार ने अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया। 2020 में घुटने में चोट लग गई। चिकित्सकों ने फिर आपरेशन बोल दिया। लेकिन सुमित ने टोक्यो ओलंपिक क्वालीफाइ के लिए एशिया टूर्नामेट में हासिल किया और रजत पदक जीता। ओलंपिक का कोटा नहीं मिल पाया। दूसरे अवसर भी घुटने के दर्द के चलते हाथ से चला गया। बुल्गारिया के सोफिया में विश्व कुश्ती ओलंपिक क्वालिफायर में सुमित देश को कोटा दिलाने में कामयाब हो गए। सुमित की चार मां, जिनका करियर में योगदान कुश्ती के दांव-पेंच सिखाने वाले मामा नरेंद्र ने बताया कि सुमित के इस सफर में एक नहीं चार मांओं का योगदान है। एक जन्म देने वाली मां सुनीता, दूसरी अनिता मौसी मां, तीसरी नानी अंगूरी, जिसे मां कहता है और चौथी मामी एकता, जिसने सुमित को यहां पर पहुंचाने में खास योगदान दिया है। नरेंद्र ने बताया कि नाना कंवल सहरावत की उम्र ज्यादा हो चुकी है। स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। लेकिन जब वीरवार को सुमित के ओलंपिक कोटा हासिल करने की सूचना मिली तो उसमें नई ऊर्जा का संचार हो गया। बोले- अब तो कई साल उम्र बढ़ गई है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.