ईको फ्रेंडली बसों के संचालन के लिए गठित होगी कमेटी, वही तय करेगी किसे सौंपे काम
जागरण संवाददाता रोहतक शहर में ईको फ्रेंडली बसों के संचालन के लिए नगर निगम के अधिक
जागरण संवाददाता, रोहतक : शहर में ईको फ्रेंडली बसों के संचालन के लिए नगर निगम के अधिकारियों ने एक कमेटी गठित करने का फैसला लिया है। बसों के संचालन के लिए शुक्रवार को टेंडर खोले जा चुके हैं। हालांकि पांच फर्मों ने टेंडर किए थे। इनमें से एक की सबसे अधिक बोली है। इसलिए आखिरी फैसला लेने के लिए भूमि अधिकारी के नेतृत्व में एक कमेटी गठित होगी। यही कमेटी आखिरी फैसला करेगी कि बसों के संचालन का जिम्मा किसे सौंपा जाए।
नगर निगम ने पिछले सप्ताह बुधवार को टेंडर किए थे, जबकि शुक्रवार को टेंडर खोल दिए थे। शुक्रवार को खोले गए टेंडर में पांच एजेंसियों ने ईको फ्रेंडली बसों के संचालन में दिलचस्पी दिखाई थी। सबसे बड़ी बोली 15-15 हजार रुपये प्रति माह प्रति बस के हिसाब से देने के लिए भीष्म शर्मा तैयार हैं। दूसरी बोली, अजय हुड्डा ने लगाई थी। अजय ने 11,111 रुपये प्रति वर्ष प्रति माह बोली लगाई थी। शेष तीन फर्मों ने 11-11 हजार रुपये प्रति माह प्रति बस के हिसाब से नगर निगम में शुल्क देने के लिए तैयार हैं। दूसरी ओर, पुरानी एक निजी एजेंसी कोर्ट में जाने का पहले ही फैसला ले चुकी है, फर्म के संचालक दावा कर चुके हैं कि नगर निगम ने नियमों की अवहेलना करके टेंडर किए हैं। नगर निगम कर सकता है टेंडर रद
सूत्रों की मानें तो टेंडर तक रद किया जा सकता है। माना जा रहा है कि टेंडर रद करने के पीछे सबसे बड़ी वजह यही है कि अधिक राजस्व कमाना। सूत्रों का कहना है कि अभी तक पांच एजेंसियों ने टेंडर में भाग लिया था। सबसे अधिक बोली लगाने वाली एजेंसी बसों के संचालन के लिए तैयार है। दूसरी सबसे अधिक बोली लगाने वाली एजेंसी ने नगर निगम के अधिकारियों के समक्ष एक शर्त रखी है। इन्होंने दस साल के लिए बसों के संचालन के लिए अनुमति मांगी है, यह भी शर्त रख दी है कि यदि यह अनुमति मिली तो नगर निगम को प्रति बस प्रति माह मनमाफिक शुल्क देने के लिए तैयार हैं। ऐसे में नगर निगम टेंडर रद करके नए सिरे से खुली बोली लगवा सकता है। इसमें जो भी सबसे अधिक बोली लगाएगा उसे ही काम सौंपा जा सकता है। बताते हैं कि निगम तीन के पांच या दस साल की शर्त रख सकता है। वर्जन
मैंने नगर निगम के आयुक्त प्रदीप गोदारा से बात की थी। उन्होंने ईको फ्रेंडली बसों के संचालन के लिए एक कमेटी गठित करने की बात कही है। कमेटी में भूमि अधिकारी शामिल किए जाएंगे। मेरा तो यही सुझाव है कि सबसे अधिक बोली लगाने वाली फर्म को काम सौंपा जाए।
मनमोहन गोयल, मेयर, नगर निगम
--
टेंडर शुक्रवार को ही खोले जा चुके हैं। अब सिर्फ किस फर्म को काम सौंपा जाएगा, इसे लेकर उच्चाधिकारियों की निगरानी में निर्णय होना है।
सुरेंद्र गोयल, भूमि अधिकारी, नगर निगम