सब्जी-अनाज मंडी के पीछे खुले पड़े सीवरेज के मेनहाल में फंसा बछड़ा, लोगों ने खुद मशीन मंगाकर बचाई जान
जागरण संवाददाता, रोहतक मंडी प्रशासन की लापरवाही को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है।
जागरण संवाददाता, रोहतक
मंडी प्रशासन की लापरवाही को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है। आए दिन हादसे हो रहे हैं, लेकिन मंडी प्रशासन सीवरेज लाइनों को दुरूस्त नहीं करा रहा है। हालात यह हो गए हैं कि रविवार की शाम एक बछड़ा खुले पड़े मेनहाल में गिर गया। मंडी प्रशासन को सूचना दी गई, लेकिन अफसर आए नहीं। मजबूर होकर स्थानीय लोगों के साथ ही मंडी के आढ़तियों ने मदद करके गोवंश की जान बचाई।
स्थानीय निवासी अजय धनखड़ के मुताबिक, शाम करीब साढ़े पांच बजे वह अनाज मंडी स्थित 33 नंबर दुकान पर राजा के पास बैठे हुए थे। इसी दौरान किसी ने जानकारी दी कि बछड़ा लाइन में फंस गया है। इसलिए तत्काल मंडी से संबंधित अधिकारियों को जानकारी दी गई। कुछ देर इंतजार के बाद भी कोई पहुंचा नहीं तो सब्जी मंडी के प्रधान सोनू छाबड़ा, उप प्रधान रामेश्वर, अजय धनखड़ के अलावा दूसरे लोगों ने भी मदद शुरू कर दी। अजय कहते हैं कि लाइनें छोटी थी, इसलिए बछड़ा आगे न फंसे, इसलिए बछड़े के गले में रस्सी पहले ही बांधी गई। फिर आगे जेसीबी से खुदाई कराकर करीब पौन घंटे की मशक्कत के बाद निकाला। जेसीबी चालक तेल भरवाने पहुंचा, लोगों के कहने पर करने पहुंचा मदद
स्थानीय निवासी अजय धनखड़ कहते हैं कि सुनारिया निवासी संजय जेसीबी मशीन में तेल भरवाने के लिए भिवानी चुंगी की तरफ जा रहे थे। इसी दौरान स्थानीय लोगों ने सीवरेज लाइन में बछड़ा फंसने की सूचना दी। साथ ही कहा कि जो भी भाड़ा लेना है ले लो, लेकिन मदद करो। इस पर जेसीबी संचालक ने भाड़ा लेने से इन्कार करते हुए मदद को आगे आ गए। इसके बाद सीवरेज लाइन के मेनहाल से थोड़ी आगे खुदाई करके बछड़े की सभी ने जान बचाई। ....
हमारे यहां जो भी शिकायत आती हैं तो तत्काल टीम भेजकर राहत कार्य शुरू कर देते हैं। मंडी के निकट जो सीवरेज लाइन खुली पड़ी है, वह हमारी नहीं है। मंडी प्रशासन को ही इस प्रकरण में जानकारी होगी।
बिजेंद्र ¨सह हुड्डा, एक्सईएन, जनस्वास्थ्य विभाग
--
मंडी प्रशासन को हमने कई बार खुले हुए सीवरेज के मेनहाल की जानकारी दे चुके हैं। लेकिन कार्रवाई नहीं होती। रविवार की शाम घटना के दौरान भी मंडी के अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन कोई अधिकारी आया नहीं। पहले भी यहां चार-पांच हादसे हो चुके हैं। हमें तो डर लगता है कि कोई बच्चा खेलता हुआ यहां आ गया तो हादसा हो सकता है।
अजय धनखड़, स्थानीय निवासी