Move to Jagran APP

आइएसएम चिकित्सकों के लिए सर्जिकल प्रक्रियाओं को प्रमाणीकरण करने पर केंद्र सरकार का धन्यवाद : नीमा

इंडियन मेडिकल एक्ट के कानूनों में बदलाव कर आइएसएम (इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसन) चिकित्सकों को सर्जरी करने के लिए राजपत्र जारी कर प्रमाणीकरण दिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 08:18 AM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 08:18 AM (IST)
आइएसएम चिकित्सकों के लिए सर्जिकल प्रक्रियाओं को प्रमाणीकरण करने पर केंद्र सरकार का धन्यवाद : नीमा
आइएसएम चिकित्सकों के लिए सर्जिकल प्रक्रियाओं को प्रमाणीकरण करने पर केंद्र सरकार का धन्यवाद : नीमा

जागरण संवाददाता, रोहतक : भारत सरकार के नीति आयोग की ओर से इंडियन मेडिकल एक्ट के कानूनों में बदलाव कर आइएसएम (इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसन) चिकित्सकों को सर्जरी करने के लिए राजपत्र जारी कर प्रमाणीकरण दिया है। जिसके लिए सभी बीएएमएस चिकित्सक केंद्र सरकार के आभारी हैं। इस फैसले के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) का खड़ा होना दुर्भाग्यपूर्ण है। नेशनल इंटीग्रेटिड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) के जिला संयोजक डा. एसएम कौशिक ने यह बात कही। वह बीएएमएस चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति दिए जाने पर आइएमए के विरोध पर प्रेसवार्ता कर रहे थे।

loksabha election banner

जिला संयोजक ने कहा कि आइएमए का विरोध समझ से परे है। बीएएमएस चिकित्सक एमबीबीएस की तरह ही साढ़े पांच वर्ष की पढ़ाई के बाद तीन वर्ष मास्टर ऑफ सर्जरी करते हैं। इस दौरान वह मॉर्डन चिकित्सका प्रणाली की तकनीक से भी रूबरू होते हैं। ऐसे में एमएस करने के बाद बीएएमएस चिकित्सक पूरी तरह से एमबीबीएस चिकित्सक के समकक्ष होते हैं। आइएमए का बीएएमएस चिकित्सकों को नकारा साबित करना निदनीय है, साथ ही महामारी के समय मरीजों की सेवाएं करते हुए जिन चिकित्सकों ने जान गंवा दी ऐसा कहकर उनका भी अपमान किया जा रहा है। महामारी के समय में आइएमए की राष्ट्रव्यापी हड़ताल उन चिकित्सकों का अपमान है जिन्होंने मरीजों की सेवाओं करते हुए जान गंवा दी। नीमा पदाधिकारियों ने 11 दिसंबर को आइएमए की हड़ताल के दौरान 24 घंटे चिकित्सा सेवाएं देने का एलान किया। इस दिन सरकार के प्रति आभार प्रकट करने के लिए नीमा चिकित्सक गुलाबी रिबन पोशाक पर बांधेंगे।

इस मौके पर नीमा के उपाध्यक्ष डा. संजीव मदान, डा. सुनीता मग्गू, डा. सुमन मोर, डा. सुरेश राठी, डा. पंकज जिदल, डा. मनीष शर्मा, डा. दिनेश मौजूद रहे।

सुश्रुत संहिता में सर्जिकल प्रक्रियाओं का वर्णन : डा. डीएस मोर

नीमा के प्रधान डा. डीएस मोर ने कहा कि आइएमए आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा पर मालिकाना अधिकार होने का व्यवहार कर रही है। सुश्रुत संहिता जैसे पांच हजार वर्ष प्राचीन ग्रंथ में सर्जिकल प्रक्रियाओं का वर्णन है। महर्षि सुश्रुत का सर्जरी के जनक के रूप में पूरी दुनिया में स्वीकार किया गया है। नीमा के सचिव डा. सिद्धार्थ ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने चिकित्सक-जनसंख्या अनुपात 1:400 रखा है जबकि भारत में वास्तविक यह 1:1000 है। ऐसे में बीएएमएस चिकित्सकों के खिलाफ भ्रामक प्रचार सही नहीं है। दूसरी ओर बीएएमएस, एमबीबीएस और एमएस सर्जरी व एमडी शल्य के लिए दाखिला प्रक्रिया एक समान है। मिक्सोप्थी-खिचड़ीकरण कहकर उपहास किया जाना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.