सरसों की बिजाई के बाद सावधानी बरतें किसान तो होगी अधिक पैदावार
जागरण संवाददाता, रोहतक : जिले में सरसों की बिजाई का कार्य हो चुका है। मगर बिजाई के बा
जागरण संवाददाता, रोहतक : जिले में सरसों की बिजाई का कार्य हो चुका है। मगर बिजाई के बाद भी किसान सावधानी बरतें तो अधिक पैदावार हो सकती है। रोहतक में 9500 हेक्टेयर में सरसों की बिजाई की गई है। हालांकि परिस्थितियों के मद्देनजर कुछ किसान नवंबर में भी सरसों की पछेती बिजाई करते हैं। कृषि उप निदेशक डा. रोहताश ¨सह का कहना है कि बिजाई के बाद सरसों में समय पर ¨सचाई और निराई-गुड़ाई करना भी जरूरी है, ताकि अच्छी पैदावार हो सके। इसे लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों से भी समय-समय पर जानकारी ले सकते हैं। बीमारियों की रोकथाम
सरसों की बिजाई के बाद फसल में कीड़ों से बीमारी आ सकती है। सरसों में आरा मक्खी नामक कीट से बीमारी होती है। जो पत्तियों को काटकर खा जाती है। वहीं चेपा में रोग होने पर कीट कलियों और फूलों को चट कर जाते है। ऐसे में समय पर बीमारियों की रोकथाम जरूरी है। समय पर ¨सचाई जरूरी
सरसों पर सिचाई का अच्छा असर होता है। सरसों में दो ¨सचाई में होती है। एक फूल निकलने के समय और दूसरी फलिया लगते समय होने पर फसल की अधिक पैदावार हो सकती है। अगर पानी की कमी हो तो फूल आते वक्त एक ¨सचाई बहुत ही फायदेमंद है। निराई और गुड़ाई
सरसों में दो गुड़ाई करना सही है। बिजाई के तीन और पांच सप्ताह बाद जरूरी है। इसके साथ ही सरसों में खरपतवार नियंत्रण भी जरूरी है। इसके लिए कृषि अधिकारियों से जानकारी अनुसार ही फसल पर छिड़काव किया जाना आवश्यक है। अगर खरपतवारनाशक का सही समय पर व सही मात्रा में उपयोग न किया जाए तो इससे सरसों की फसल को नुकसान हो सकता है। निराई-गुड़ाई अच्छी होने से किसान अधिक पैदावार प्राप्त कर सकता है।