स्वामी रामदेव का दावा, पतंजलि 2025 तक बनेगी विश्व की सबसे बड़ी कंपनी
योग गुरु स्वामी रामदेव ने दावा किया है पतंजलि 2025 तक विश्व की सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी। वह भारत की एकमात्र कंपनी होगी जो पूरी दुनिया में परचम लहराएगी।
जेएनएन, रोहतक। योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा है कि पतंजलि 2025 तक दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी होगी। भारत की इकलौती कंपनी पतंजलि पूरी दुनिया में अपना परचम लहराएगी। हम स्वदेशी की अवधारण काे सशक्त कर रह हैं। हरियाणा में स्वदेशी अभियान के तहत शिक्षा के क्षेत्र में भी काम करेंगे।
स्वामी रामदेव शुक्रवार को यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्हाेंने कहा कि पतंजलि ने स्वदेशी की अवधारणा को न केवल स्थापित किया है बल्कि इसे मजबूती भी दी है। हम पतंजलि के माध्यम से पूरे विश्व में भारत का मान बढ़ाएंगे। पतंजलि भारत की एकमात्र कंपनी होगी जो पूरी दुनिया में अपना परचम लहराएगी। 2025 तक निश्चित रूप से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी होगी।
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उन्होंने कहा कि हमने हरियाणा में अभी तक 11 हजार युवाओं को नौकरी दी है। अब हरियाणा के युवाओं को रोजगार प्रदान करने का आंकड़ा 20 हजार के पार करेंगे। पतंजलि और स्वदेशी अभियान इसके लिए प्रयासरत है। युवाओं के लिए राेजगार के अवसर पैदा कर हम उनकी सकारात्मक ऊर्जा का देश आैर समाज के हित में इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्वामी रामदेच ने आरक्षण और असम में नागरिकता के मुद्दे पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि जाति नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए। बाबा रामदेव ने कहा है कि अनुसूचित जातियों में भी जो क्रीमी लेयर है, उन्हें आरक्षण नहीं मिलना चाहिए। जो सही रूप में आर्थिक विपन्न हैं उन्हें ही आराक्षण मिलना चाहिए। ऐसे ही सवर्ण जातियों में भी जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उन्हें भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।
उन्होंने रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपैठियों काे भारत के लिए बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि भारत में तीन से चार करोड़ रोहिंग्या व बांग्लादेशी हैं। ये देश की एकता और अखंडता के लिए खमरा हैं। अभी नहीं जागे तो आने वाले समय में 10 कश्मीर जैसे हालत बनेंगे।
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स्वामी रामदेव रोहतक के महषि दयानंद विश्वविश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले स्वदेशी अभियान की बैठक को संबोधित करेंगे। वह मदवि के टैगोर ऑडिटोरियम में युवा स्वाभिमान सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे। वह सबसे पहले अस्थल बाेहर स्थित बाबा मस्तनाथ मठ में महंत बालक नाथ से मिलने पहुंचे।