वर्कशॉप में छात्राओं ने दिखाया ब्याह के बान से लेकर बरात का दृश्य
जागरण संवाददाता रोहतक बन्ना तेरे दादा की ऊंची दुकान पांच पताशे पनाह बिड़ला ले देबी पै
जागरण संवाददाता, रोहतक : बन्ना तेरे दादा की ऊंची दुकान, पांच पताशे पनाह बिड़ला ले देबी पै जाइयो जी, काच्ची इमली गदराई सामण म्हं, बूढ़ी लुगाई मस्ताई फागण में, जेठ मेरा दस पढ़ रा सै ए.. जैसे हरियाणवीं गीतों को सुनकर हर कोई झूमने पर मजबूर हो गया। साथ ही हरियाणवीं परिवेश को देखकर हर कोई खुश नजर आ रहा था। यह नजारा मंगलवार को एमडीयू के इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट एंड टूरिज्म में दो दिवसीय हरियाणवीं संस्कृति वर्कशॉप के दौरान देखने को मिला। जहां जीवीएम कालेज सोनीपत की छात्राओं ने ब्याह के बान से लेकर बारात के दृश्य को दिखाया। जिसमें उन्होंने दिखाया कि किस प्रकार महिलाएं एकत्रित होकर नाचती-गाती हैं। एक-दूसरे से हंसी मजाक करती हुए तेल बान के लिए पकवान बनाती हैं। साथ ही वह दादी, सास, बहू के साथ अटकले करती हैं। विभाग को ग्रामीण परिवेश की तरह सजाया गया
इस दौरान विभाग में कहीं पर गांव की चौपाल बनाई गई, तो वहीं दूसरी ओर गांव के कच्चे मकान को दिखाया गया। जिसमें घर की बहू-बेटियां मिलजुल कर काम करती हैं। साथ ही कोई चरखा कात रही है तो कोई दूध बिलो रही है। इस दौरान विभागाध्यक्ष डा. आशीष दहिया ने बताया कि इस प्रकार की वर्कशॉप से युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति के बारे में जानकारी देना है। साथ हरियाणवीं टूरिज्म को बढ़ावा देना है। हरियाणवीं खाने का लिया स्वाद
वर्कशॉप में बच्चों ने हारे की दाल, शीत, पुड़े, सुहाली, खीर, आलू की सब्जी, मटर गाजर, रोटी बनाई। जिसे खाकर हर किसी का दिल खुश हो गया। हरियाणवीं कलाकार रघुविद्रर मलिक ने बताया कि वर्कशॉप में बच्चों को देशी तरीके से हरियाणवीं खाना बनाया सिखाया गया है। जिससे बच्चों को हमारी पाक कला को बनाने की समझ और स्वाद का पता चल सके।