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विज्ञान का उपयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाना चाहिए : प्रो. कुठियाला

रोहतक : हरियाणा उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बीके कुठियाला ने क

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 07:36 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 07:36 PM (IST)
विज्ञान का उपयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाना चाहिए : प्रो. कुठियाला
विज्ञान का उपयोग पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाना चाहिए : प्रो. कुठियाला

जागरण संवाददाता, रोहतक :

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हरियाणा उच्चतर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बीके कुठियाला ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग प्रकृति तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य को प्रकृति के विनाश की प्रक्रिया को रोकना होगा। पर्यावरण एवं प्रकृति की संपोषणीयता समय की जरूरत है। वह बुधवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का सदुपयोग राष्ट्र, विश्व तथा मानव कल्याण के लिए करने का सामूहिक संकल्प लेते हुए राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हो गया। संपोषणीय विकास के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विषयक इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देश भर के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, रसायनशास्त्रियों ने शिरकत की। एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर ¨सह ने समापन सत्र की अध्यक्षता की। समापन सत्र में एमडीयू के शैक्षणिक मामलों के अधिष्ठाता प्रो. एके राजन तथा कुलसचिव प्रो. गुलशन तनेजा की गरिमामयी उपस्थिति समापन सत्र में रही। रसायनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष तथा इस राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक प्रो. एसपी खटकड़ ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने राष्ट्रीय सम्मेलन को विज्ञान एवं अनुसंधान को प्रोत्साहन देने वाला आयोजन बताया।

प्रो. कुठियाला ने महर्षि दयानंद सरस्वती के कालजयी रचना सत्यार्थ प्रकाश का उल्लेख करते हुए कहा कि धर्म का अर्थ संपोषणीय जीवन एवं विश्व का सृजन है। प्रो. कुठियाला का कहना था कि भारत में सपोषणीयता प्राचीन परंपरा एवं ज्ञान तथा जीवनशैली का अभिन्न अंग रहा है। भारत संपोषणीय जीवनशैली एवं जीवन-परंपरा का विश्व गुरू है। जरूरत है कि उस पारंपरिक ज्ञान को समाज में पुनर्जीवित किया जाए।

एमडीयू के कुलपति प्रो. राजबीर ¨सह ने समापन सत्र में अध्यक्षीय भाषण देते हुए कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मानव कल्याण के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि संपोषणीय विकास पृथ्वी के संरक्षण के लिए जरूरी है। विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों से जूझने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जरूरी है। प्रो. राजबीर ¨सह ने रसायनशास्त्र विभाग को इस राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के लिए हार्दिक बधाई दी। कुलपति प्रो. राजबीर ¨सह ने समाज में वैज्ञानिक सोच के प्रचार-प्रसार पर विशेष जोर दिया।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में लगभग 300 डेलीगेट्स ने भाग लिया। समापन सत्र में सम्मेलन के मौखिक प्रेजेंटेशन तथा पोस्टर प्रेजेंटेशन के विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर निदेशक, यूआइईटी प्रो. राहुल ऋषि, डीसीआरयूएसटी, मुरथल के प्रो. मनोज दूहन, रसायनशास्त्र विभाग के प्राध्यापकगण, यूआइईटी के प्राध्यापकगण, डेलीगेट्स, शोधार्थी, विद्यार्थी उपस्थित रहे।


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