सत्संग जीव के अवगुण मिटा कर उसे प्रभु की ओर ले जाता है : हुजूर कंवर साहेब
संत सतगुरु के पास हर युक्ति है। संतो का सत्संग करो। सत्संग जीव के
जागरण संवाददाता, रोहतक : संत सतगुरु के पास हर युक्ति है। संतो का सत्संग करो। सत्संग जीव के कल्याण के लिए है। सत्संग जीव के अवगुण मिटा कर उसे प्रभु को ओर लेकर जाता है, लेकिन सत्संग बिना सतगुरु के संभव नहीं है। जिसको पूर्ण सतगुरु मिल जाता है। उसका सब लेखा निबट जाता है। सतगुरु करनी का भेद बताता है। बिना करनी के कल्याण संभव नही हैं। यह प्रवचन राधास्वामी आश्रम में बुधवार को मासिक सत्संग के दौरान परमसंत हुजूर कंवर साहेब ने साध संगत को सुनाए। इस मौके पर राधा स्वामी दिनोद के परमसंत हुजूर कंवर साहेब ने बताया कि हमारी रूह जिस लोक से आयी थी। वहां न दिन था, न रात। न दुख था, न सुख। फिर भी ये दुनियां कैसे दुख-सुख के फेर में फंसी। उन्होंने कहा कि रूह ने इस जगत में आकर अनेकों बंधन खुद पर बांध लिए हैं। कहीं ये रिश्ते नातों के बंधन में बंधी, तो कहीं ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी में उलझ कर रह गई है। इन बंधनों से छुटकारा केवल सच्चा संत ही दिला सकता है। जब तक पूरे रहबर की शरणाई नहीं मिलती तब तक ये मन की घाटियों में भटकती फिरती है। उन्होंने मन को काग वृति का बताते हुए कहा कि जिस प्रकार काग को कितना ही साध लो, लेकिन मौका लगते ही वो अपनी चोंच को भिष्टा में ही मारेगा। उसी प्रकार मन को आप कितना ही साध लो, लेकिन थोड़ी सी ढील मिलते ही वो अपनी ढोंगी चाल पर आ जाता है। आज घर-घर में हो रहें हैं पाप
हुजूर कंवर साहेब ने बताया कि अपनी इच्छा को, अपनी तृष्णा को पूरी करने के लिए हम गलत काम करते हैं और धन कमाते हैं। जब धन गलत होगा, तो मन भी गलत हो जाऐगा। ऐसे में पूरे घर का वातावरण दूषित होता है। यही वजह है कि आज घर घर मे पाप हो रहे हैं। भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध होते हैं। उन्होंने कहा कि पिता पूरा जीवन गलत तरीके से धन कमा कर अपने परिवार का पोषण करता है। जब वह बूढ़ा होता है, तो उसकी अपनी संतान उसे आंख दिखाती है। फिर वो पछताता है, लेकिन वो चाह कर भी बिता वक्त को वापिस नहीं ला सकता। बेईमानी का प्रचार करोगे, तो झूठ और बुराई ही मिलेगी
उन्होंने साध संगत को बताते हुए कहा कि बोया पेड़ बबूल का, तो आम कहां से आए। इसका मतलब यह है कि झूठ और बेईमानी का प्रचार करोगे, तो झूठ और बुराई ही मिलेगी। खुद का मन पवित्र नहीं है। खुद के मन मे भारी झगड़ा चल रहा है। मन में चोर लूटेरे बैठे हैं तो ऐसे में सुख कहां से होगा। जैसा करोगे वैसा ही भरोंगे। जब आप खुद ठीक हो जाओगे, तो परमात्मा खुद आपकी मदद करेगा। इसलिए गुरु नाम ज्ञान का है। जो आपको अंधकार की ओर से उजियारे की ओर लेकर जाता है।