रोडवेज कर्मचारियों ने सरकार पर निजीकरण बढ़ाने का आरोप, आठ-नौ को करेंगे हड़ताल
मांगें पूरी न होने पर रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने सरकार के खिल
जागरण संवाददाता, रोहतक : मांगें पूरी न होने पर रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने सरकार के खिलाफ आर-पार के संघर्ष का निर्णय लिया है। इसके साथ ही उन्होंने आठ व नौ जनवरी की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होने का ऐलान भी किया है। यूनियन ने सरकार पर निजीकरण व ठेका प्रथा को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया है। मंगलवार को यूनियन मुख्यालय में रोडवेज कर्मचारी यूनियन संबंधित हरियाणा कर्मचारी महासंघ की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र ¨सह धनखड़ की अध्यक्षता में यह बैठक हुई, जिसका मंच संचालन महासचिव पहल ¨सह तंवर ने किया। वीरेंद्र ¨सह ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार की नीतियां कर्मचारियों के हित में नहीं है। इसी कारण आज प्रदेश का कर्मचारी आंदोलन करने पर मजबूर है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकारी विभागों में निजीकरण व ठेका प्रथा को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सता में आने से पहले कर्मचारियों से कई वायदे किए थे, लेकिन सरकार ने एक भी वायदा पूरा नहीं किया। वहीं रोजगार छीनने का कार्य भी किया जा रहा है। जिसे प्रदेश के कर्मचारी किसी सूरत में सहन नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने समय रहते कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं किया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। बैठक में चेयरमैन सुरेंद्र मलिक, जयचंद सैनी, ओमप्रकाश ग्रेवाल, जयपाल दहिया, युद्धवीर दांगी, शमशेर ¨सह, मंजीत पहल, फूलकुमार कंबोज, दीपक बल्हारा, प्रेम ¨सह, जयपाल चौहान, उदम ¨सह यादव, मनोज कुंडू, जोगेंद्र बल्हारा प्रमुख रूप से मौजूद रहे। ये उठाई हैं मांगें :
उन्होंने बताया कि यूनियन की मुख्य मांगों में पुरानी पेंशन व एक्स ग्रेसिया नीति बहाल करना, जनवरी 2016 से देय एचआरए समेत सभी भत्ते लागू करना, राज्य परिवहन में 700 बसें ठेके पर लेने के निर्णय को रद्द करना, ग्रामीण क्षेत्रों में रात्रि ठहराव के लिए पूर्व की भांति गाड़ियां चलाना, विभाग में 2016 के चालकों सहित सभी कच्चे कर्मचारियों को नियुक्ति तिथि से पक्का करना, कर्मशाला स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया शीघ्र शुरू करके सभी वंचित कर्मचारियों को समान रूप से तकनीकी वेतनमान देना, विभाग में खाली सभी श्रेणियों के पदों को नियमानुसार पक्की भर्ती से भरना, चालक-परिचालकों व अन्य श्रेणी के सभी कर्मचारियों को समय पर अवकाश व विश्राम देना। प्रदेश में चल रहे अवैध वाहनों पर पूर्ण रोक लगाना व सरकारी बसों की संख्या जनता की बढ़ती आबादी के अनुसार 14 हजार करवाना प्रमुख है।