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अब पानी और सीवरेज की लीकेज की जानकारी देगा जीपीएस सिस्टम, हैदराबाद की तर्ज पर 95 करोड़ की लागत से बिछेंगी लाइनें

जागरण संवाददाता, रोहतक पानी और सीवरेज की लाइनों में आने वाली समस्याओं से अब लोगों को

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 03:02 AM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 03:02 AM (IST)
अब पानी और सीवरेज की लीकेज की जानकारी देगा जीपीएस सिस्टम, हैदराबाद की तर्ज पर 95 करोड़ की लागत से बिछेंगी लाइनें
अब पानी और सीवरेज की लीकेज की जानकारी देगा जीपीएस सिस्टम, हैदराबाद की तर्ज पर 95 करोड़ की लागत से बिछेंगी लाइनें

जागरण संवाददाता, रोहतक

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पानी और सीवरेज की लाइनों में आने वाली समस्याओं से अब लोगों को नहीं जूझना पड़ेगा। नए साल पर ही शहर में हैदराबाद की तर्ज पर 256 करोड़ की अमृत योजना के तहत लाइनें बिछाने का काम किया जाएगा। योजना भी बना ली गई है और सिस्टम काम किस तरह करेगा इसके लिए अधिकारियों को तकनीकि बेसिक ट्रेनिंग भी दी गई है। पानी व सीवरेज की लाइनें जीपीएस सिस्टम से जुड़ी होंगी और लीकेज होते ही इसकी जानकारी मिल सकेगी।

यहां बता दें कि 161 करोड़ रुपये की लागत से सीवरेज लाइन तो 95 करोड़ की लागत से पानी की नई लाइन बिछेंगी। मार्च में जनस्वास्थ्य विभाग निगम में आ जाएगा। इसलिए अमृत के प्रोजेक्ट पर नगर निगम की निगरानी में ही कार्य होगा। यही कारण था कि निगम के डीटीपी केके वाष्र्णेय, एटीपी तिलकराज, एक्सईएन रामप्रकाश, एक्सईएन मंजीत दहिया, एमई जगदीश चंद्र व सुमित नांदल प्रशिक्षण के लिए हैदराबाद गए थे।

जीपीएस से जुड़ी लाइनें, ट्रै¨कग सिस्टम है लागू

प्रशिक्षण लेकर पहुंचे निगम के अधिकारियों का कहना है कि हैदराबाद में पानी और सीवरेज की लाइनों को बिछाने में नई तकनीकी का उपयोग किया जा चुका है। जब भी पानी और सीवरेज की लीकेज होती है तो फौरन ही आपरे¨टग सिस्टम से जुड़े अधिकारियों को पता चल जाता है। निगम के डीटीपी कहते हैं कि वहां लाइनों में जीपीएस, लीकेज ट्रै¨कग सिस्टम भी है। जब भी पानी की लाइन लीकेज होती है तो तुरंत संबंधित क्षेत्र दर्शाते हुए रंग बदलने लगता है। सीवरेज लाइनों को जोड़ने वाले सभी मेनहाल की आइडी बनी हुई है। लीकेज होने की स्थिति में सॉफ्टवेयर पर आइडी नंबर डालकर आसानी से लीकेज पता चलती है।

वर्जन

हैदराबाद की तर्ज पर ही सीवरेज और पानी की लाइन अमृत के तहत बिछाने का कार्य होगा। हमने नई तकनीकी उपयोग करने के हिसाब से ही अमृत के एस्टीमेट तैयार किए हैं। नई तकनीकी के उपयोग से कम कर्मचारियों की जरूरत होगी, जबकि पानी और सीवरेज की अनावश्यक लीकेज भी नहीं होगी।

केके वाष्र्णेय, डीटीपी, नगर निगम


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