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लॉकडाउन में रोजगार दिया, कर्मचारियों को रोकने भोजन का कराया इंतजाम

कंपनियों में काम करने वालों को कोरोना काल याद होगा। खुद की सेहत से ज्यादा अपने रोजगार को लेकर चिता थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 08:21 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 08:21 AM (IST)
लॉकडाउन में रोजगार दिया, कर्मचारियों को रोकने भोजन का कराया इंतजाम
लॉकडाउन में रोजगार दिया, कर्मचारियों को रोकने भोजन का कराया इंतजाम

अरुण शर्मा, रोहतक: कंपनियों में काम करने वालों को कोरोना काल याद होगा। खुद की सेहत से ज्यादा अपने रोजगार को लेकर चिता थी। मगर रोहतक में एक ऐसी भी कंपनी थी, जोकि मुसीबत के दौर में कर्मचारियों के साथ मजबूती से खड़ी रही। रोजगार देने के साथ ही उनके ठहरने और भोजन तक का इंतजाम कराया। यही कारण रहा कि कुल 900 में से 700 कर्मचारी-मजदूर रोहतक में ही रहे। जो 200 कर्मचारी अपने घरों में चले गए थे उन्हें अपने वाहनों की मदद से वापस बुलाया।

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हम कोरोना काल में माइक्रोन ग्रुप आफ इंडस्ट्रीज की अनूठी पहल की चर्चा करते हैं। जब कोरोना काल के चलते लॉकडाउन लगाया तो अचानक कर्मचारी और मजदूर वापस जाने लगे। कंपनी के मैनेजिग डायरेक्टर करन विग कहते हैं कि हमने सबसे पहले नई पहल शुरू की थी। हमने अपने यहां कार्यरत कर्मचारियों व मजदूरों को भोजन के पैकेट बांटना शुरू कर दिया। इससे उन सभी के बीच सकारात्मक संदेश देने का कार्य किया कि यहां रहकर कोई परेशान नहीं होगा। दूसरे उद्यमियों में भी यह संदेश पहुंचा। इस पहल का असर ही कहेंगे कि कई दूसरे जिलों के उद्यमियों ने भी इस पहल के तहत कार्य किया। इन्होंने वेतन कटौती नहीं की। दूसरे राज्यों से खुद के कर्मचारी बुलाने भेजे वाहन

माइक्रोन ग्रुप आफ इंडस्ट्रीज में कृषि यंत्रों को तैयार किया जाता है। इनकी कंपनी में रोटावेटर, कल्टीवेटर, जैरा वेटर के अलावा फास्टनर और जेसीबी के लिए हाइड्रोलिक तैयार की जाती हैं। इन्होंने कहा कि कोरोना काल में कुछ मजबूरियों के चलते कर्मचारी अपने घर भी चले गए थे। जब उन्होंने वापस आने के संदेश भेजे तो हमने भी उन्हें बेहतर इंतजाम कराए। उदाहरण देते हुए बताया कि कंपनी की तरफ से देश-विदेश में माल भेजा जाता है। इसलिए अपने नेटवर्क की मदद से दूसरे राज्यों के कर्मचारियों को बुलाने में मदद मिली। उदाहरण दिया कि हमारे कुछ कर्मचारी उत्तर प्रदेश के कानपुर के थे। आवागमन का इंतजाम नहीं था। इसलिए उन्होंने मदद मांगी तो हमने माल सप्लाई से जुड़े वाहनों की मदद ली। उन वाहनों को वहां भेजा और कर्मचारियों को बुलाया। इससे दूसरे कर्मचारी व मजदूर भी यहां आने के लिए प्रेरित हुए।


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