Move to Jagran APP

बिना ब्योरा दर्ज किए पीजीआइ चिकित्सकों ने किए थे तीन पोस्टमार्टम

जागरण संवाददाता रोहतक कैंसर मरीजों की फर्जी तरीके से हादसे में मौत दिखाकर बीमा क्लेम

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 07:30 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 07:30 PM (IST)
बिना ब्योरा दर्ज किए पीजीआइ चिकित्सकों ने किए थे तीन पोस्टमार्टम
बिना ब्योरा दर्ज किए पीजीआइ चिकित्सकों ने किए थे तीन पोस्टमार्टम

जागरण संवाददाता, रोहतक : कैंसर मरीजों की फर्जी तरीके से हादसे में मौत दिखाकर बीमा क्लेम लेने के मामले में नया खुलासा हो रहा है। कैंसर पीड़ित तीन मरीजों के पीजीआइ में ऑपरेशन किए गए थे। जब एसटीएफ ने तीनों मरीजों का ब्योरा पीजीआइ से मांगा तो अफसरों के होश उड़ गए। अभी तक अफसरों को इन तीनों मृतकों के पोस्टमार्टम का रिकॉर्ड नहीं मिला है। दावा किया जा रहा है कि पोस्टमार्टम से पहले चिकित्सकों ने उक्त मृतकों का ब्योरा ही अपने रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया। ब्योरा न मिलने के चलते अब कई अधिकारियों की गर्दन फंस सकती है।

loksabha election banner

सोनीपत एसटीएफ ने कैंसर, टीबी और एड्स के अंतिम स्टेज वाले मरीजों का फर्जी तरीके से बीमा कराकर क्लेम लेने का खुलासा किया था। एसटीएफ ने मामले में कई आरोपितों की गिरफ्तारी करते हुए प्रकरण का खुलासा किया था। जिसके बाद आरोपितों ने कबूल किया था कि वह पीजीआइ से उक्त मरीजों का ब्योरा लेकर उनसे संपर्क करते थे। इसके बाद फर्जी तरीके से उनकी मौत को हादसे में मौत दिखाकर पोस्टमार्टम कराते थे। पोस्टमार्टम के दौरान चिकित्सकों को दो लाख रुपये देकर रिपोर्ट से कैंसर नहीं बल्कि हादसे में मौत दिखाते थे। आरोपितों ने एसटीएफ को बताया था कि उन्होंने तीन कैंसर पीड़ित मरीजों का पोस्टमार्टम पीजीआइ में कराया था। जिसके बाद एसटीएफ ने पीजीआइ अधिकारियों से उक्त मरीजों की रिपोर्ट का ब्योरा मांगा था। स्थिति यह है कि दो सप्ताह का समय बीतने के बाद भी चिकित्सक अभी तक ब्योरा उपलब्ध नहीं करा पाए हैं। विभागीय सूत्रों का दावा है कि उक्त तीनों मरीजों का पोस्टमार्टम करने से पहले चिकित्सकों ने उनका ब्योरा ही दर्ज नहीं किया है। जिसके चलते पोस्टमार्टम हाउस के रिकॉर्ड रजिस्टर में उनका रिकॉर्ड ही नहीं है। रिकॉर्ड रूम में भी नहीं हैं दस्तावेज

दावा किया जा रहा है कि पीजीआइ के रिकॉर्ड रूम में भी तीनों मृतकों के पोस्टमार्टम का रिकॉर्ड नहीं है। जिसके चलते पीजीआइ अधिकारियों को अभी तक रिकॉर्ड नहीं मिल सका है। इससे अब पीजीआइ के कई बड़े अधिकारियों की मामले में गर्दन फंसती दिख रही है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.