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पीजीआइ चिकित्सक सुसाइड केस : दूसरे दिन हड़ताल पर डटे चिकित्सक, मांगों पर नहीं बनी सहमति

जागरण संवाददाता रोहतक पीजीआइ में पीजी चिकित्सक की आत्महत्या करने के मामले में शनिवार क

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Jun 2019 07:51 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jun 2019 06:36 AM (IST)
पीजीआइ चिकित्सक सुसाइड केस :
दूसरे दिन हड़ताल पर डटे चिकित्सक, मांगों पर नहीं बनी सहमति
पीजीआइ चिकित्सक सुसाइड केस : दूसरे दिन हड़ताल पर डटे चिकित्सक, मांगों पर नहीं बनी सहमति

जागरण संवाददाता, रोहतक : पीजीआइ में पीजी चिकित्सक की आत्महत्या करने के मामले में शनिवार को दूसरे दिन भी चिकित्सकों की हड़ताल जारी रही। चिकित्सकों से बात करने के लिए पीजीआइ की गठित कमेटी पहुंची, लेकिन चिकित्सकों की मांगें बार-बार बदलने और पूरा करने योग्य न होने के चलते मांगों पर सहमति नहीं बन सकी।

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वहीं डा. ओमकार के परिजन शव को लेकर देर रात को ही एंबुलेंस से कर्नाटक के लिए रवाना हो चुके थे। परिजन भी इस पूरे मामले को लेकर शोषण करने का ही आरोप लगाते रहे।

दिनभर चिकित्सकों ने पार्क में बैठकर आगे की रणनीति तैयार की। वहीं प्रकरण में आरोपित डा. गीता गठवाला छुट्टियों पर होने के चलते इन दिनों स्टेशन से बाहर गई हुई हैं। हालांकि उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है।

चिकित्सकों की हड़ताल का सीधा असर मरीजों की संख्या और उनकी सुविधाओं पर पड़ रहा है। स्थित यह है कि दिन में चिकित्सक तो पार्क में बैठकर नारेबाजी कर रहे थे, लेकिन वार्डों में भर्ती मरीज परेशान हो रहे थे। अब स्थिति यह है कि वार्ड, इमरजेंसी, और ट्रॉमा सेंटर लगभग खाली पड़े हुए हैं। शनिवार को चिकित्सकों से वार्ता करने के लिए पंडित बीडी शर्मा हेल्थ यूनिवर्सिटी की नौ सदस्यीय टीम पहुंची, लेकिन टीम ने चिकित्सकों की मांग को अवैध करार देते हुए बिना किसी सहमति के वापस लौट गई। इसके बाद चिकित्सकों ने बैठक कर आगे की रणनीति तैयार की। हालांकि चिकित्सकों का कोई लीडर न होने के चलते आंदोलन को आगे संचालित करने में परेशानी हो रही थी। जिसके चलते शनिवार शाम को उन्होंने बैठक कर नई कमेटी गठित करने की बात कही।

चिकित्सक मांग कर रहे हैं, कि आरोपित विभागाध्यक्ष के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए, कार्रवाई के बाद अब वही चिकित्सक मांग कर रहे हैं कि विभागाध्यक्ष को बर्खास्त करने के साथ-साथ मरीजों की फाइलों को रखने की जिम्मेदारी उनसे हटाते हुए स्टाफ नर्सों को उसकी जिम्मेदारी दी जाए, साथ ही एक चिकित्सक से सप्ताह में अधिकतम 48 घंटे ही कार्य कराया जाए। यह था मामला

पीजीआइ के पीडियाट्रिक विभाग के पीजी चिकित्सक डा. ओमकार ने बृहस्पतिवार की रात आत्महत्या कर ली थी। पीजी हॉस्टल स्थित उनके कमरे में शव फांसी पर लटका मिलने पर चिकित्सकों ने हंगामा किया था। चिकित्सकों ने हंगामा करते हुए विभागाध्यक्ष डा. गीता गठवाला पर शोषण करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी। जिसके बाद डा. गीता के घर पहुंचकर चिकित्सकों ने हंगामा, तोड़फोड़ करते हुए अभद्रता भी की थी। पूरे मामले में डा. गीता के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी। साथ ही विवि प्रबंधन ने डा. गीता को सस्पेंड कर दिया था। अब चिकित्सक उक्त प्रकरण के बाद डा. गीता को बर्खास्त करने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं। एक वर्ष पूर्व बच्चे की मौत पर ठहराया था दोषी

15 जनवरी 2018 को अकबरपुर गांव निवासी राजेश ने थाने में शिकायत दी थी कि उसकी नौ माह की भतीजी को उपचार के लिए पीजीआइ लाया गया था। इमरजेंसी में तैनात चिकित्सकों ने करीब आधा घंटे तक पहले तो बच्ची को देखा नहीं और बाद में उसे दवाई देते हुए घर भेज दिया था। जिसके बाद बच्ची की मौत हो गई थी। पूरे मामले में डा. ओमकार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। जिसके बाद पीजीआइ की गठित कमेटी ने भी डा. ओमकार को दोषी ठहराया था। पुलिस ने डा. ओमकार को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया था। अभी वह प्रकरण कोर्ट में लंबित है। हड़ताली चिकित्सकों से बात करने के लिए टीम मौके पर गई थी। चिकित्सकों की मांगों पर सहमति नहीं बन पाई है। नियमानुसार जो भी चिकित्सकों की मांगें हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा।

डा. वरुण अरोरा, पीआरओ पीजीआइएमएस


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