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लोहड़ी थीम पर आयोजित राहगीरी में लोगों ने की जमकर मस्ती

रोहतक : आ गई लोहड़ी होए, सानूं दे लोहड़ी तेरी जीवे जोड़ी, भंगडा पा

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 05:24 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 05:24 PM (IST)
लोहड़ी थीम पर आयोजित राहगीरी में लोगों ने की जमकर मस्ती
लोहड़ी थीम पर आयोजित राहगीरी में लोगों ने की जमकर मस्ती

जागरण संवाददाता, रोहतक :

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आ गई लोहड़ी होए, सानूं दे लोहड़ी तेरी जीवे जोड़ी, भंगडा पा लो आज तो लोहड़ी है के गीतों पर नन्हें मुन्हें बच्चों ने अपनी एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। इसके साथ लड़कियां पंजाबी परिधानों ने मंच पर नजर आई। यह नजारा रविवार को सोनीपत स्टैंड रंगशाला में आयोजित राहगीरी के दौरान देखने को मिला। जहां हर किसी ने एक-दूसरे को लोहड़ी की बधाई दी और लोहड़ी की थीम पर आयोजित राहगीरी में जमकर मस्ती की। वहीं नन्हें कलाकार योगेश वत्स ने अपने हरियाणवीं, पंजाबी और देशभक्ति गीतों जैसे देसी-देसी न बोल्या का छोरी रे, यो मेरा हरियाणा, चक दे इंडिया, दिल दिया है जान भी देंगे, बोलो तारा रा गानों के साथ रोहतक वासियों को खूब नाचया। इस दौरान बच्चे, बड़े सहित युवा वर्ग में काफी जोश देखने को मिला।

इस मौके पर डीएसपी पृथ्वी ¨सह और समाजसेवी राजेश टीनू ने शहर को स्वच्छ बनाने के लिए पॉलीथिन मुक्त अभियान के दौरान राहगीरी में लोगों को कपड़े के बैग बांटे। इसके साथ ही पॉलीथिन का प्रयोग न करने और यातायात के नियमों का पालन करने के लिए अपील की।

बच्चों ने अपनी प्रस्तुति से मोह लिए सभी का मन

राहगीरी कार्यक्रम में हर कोई अलग-अलग तरीके से इन्जाय करते नजर आया। कोई नाचता दिखा तो कोई बच्चों के साथ बच्चा बन कर खेलने लगा। राहगीरी में शहर के कई स्कूलों के बच्चों ने भी अपने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से लोगों के मन को मोहा लिया। पठानिया पब्लिक स्कूल की छात्राओं सांची, सानवी और तान्या ने पंजाबन शौकीन कुड़ीए गाने पर अपने साथ सभी को थिरकने पर मजबूर कर दिया। वहीं अंशु हुड्डा की देशभक्ति की कविता को सुनते हुए लोगों ने उसका तालियों के साथ उत्साह बढ़ाया। मंच का संचालन करते हुए सुरेंद्र जाखड़ ने हंसी-मजाक से समां को बांधकर रखा। साथ ही सभी को डीजे पर डांस कराया। रक्त दे वक्त दे संस्था ने किया लोगों को जागरूक

इस दौरान रक्त दे वक्त दे संस्था के सदस्यों ने लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि शुरूआत के समय में उन्होंने चार लोगों से अपनी संस्था की शुरूआत की और उसी संस्था में 50 से भी अधिक लोग काम कर रहे हैं। साथ ही अभी तक 13 हजार यूनिट रक्तदान कर चुके हैं। वह शहर को दो साल में थैलीसीमिया से मुक्त करना चाहती है।


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