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वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 को बढ़ा रहा है पराली का धुआं

रोहतक : पराली जलाना किसी भी सूरत में सही नहीं है। पराली का धुआं वाता

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 06:31 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 06:31 PM (IST)
वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 को बढ़ा रहा है पराली का धुआं
वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 को बढ़ा रहा है पराली का धुआं

जागरण संवाददाता, रोहतक :

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पराली जलाना किसी भी सूरत में सही नहीं है। पराली का धुआं वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 को बढ़ा रहा है। जिससे न केवल बीमारियां बढ़ती है बल्कि जलवायु परिवर्तन पर भी इसका असर पड़ता है। इसके लिए किसानों को जागरूक होना ही सबसे बेहतर विकल्प है। किसानों की जागरूकता से एक ओर जहां उनके खेतों की मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी, वहीं पर्यावरण की सेहत भी सुधरेगी। पराली अभियान को लेकर बृहस्पतिवार को दैनिक जागरण कार्यालय में कराए गए पैनल डिस्कशन में यह बात निकल कर सामने आई। पैनल डिस्कशन में पर्यावरणविद से लेकर कृषि अधिकारियों व किसानों ने भी शिरकत की। उन्होंने पराली जलाने के नुकसान और इस नुकसान से बचाव के विषय में अपने-अपने विचार रखे।

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पराली जलाना कोई समाधान नहीं है। इसको जलाने से विभिन्न प्रकार की गैसें निकलती है। जिनसे वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5 ) बढ़ जाता है। जो अस्थमा आदि गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। वहीं, किसान की धरती की उपजाऊ शक्ति भी कमजोर होती है।

- सुगंधा मिश्रा, पर्यावरणविद।

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पराली को न जलाकर किसान उसका प्रबंधन चौपर व हैप्पी सीडर आदि आधुनिक मशीनों का प्रयोग करके बेहतर तरीके से कर सकते हैं। इन दिनों में किसान पर गेहूं की बिजाई का भी दबाव रहता है। ऐसे में मशीनों के प्रयोग से वे पराली को खेत में की छोटा-छोटा कर खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।

- अंजू, पर्यावरणविद।

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पराली को जलाए नहीं, इसका उचित प्रयोग कर किसान इससे मशरूम उत्पादन कर सकते हैं और अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। वहीं, केंचुआ खाद भी बना सकते हैं। इससे एक ओर जहां पर्यावरण प्रदूषण नहीं होगा वहीं दूसरी तरफ किसानों को भी काफी लाभ पहुंचेगा। इसके लिए ट्रे¨नग की जरूरत है।

- डा. धीरेंद्र मिश्रा, पर्यावरणविद। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए गांवों में कैंप भी लगाए जा रहे हैं। जमीन की उपजाऊ शक्ति लगातार घटती जा रही है। पराली प्रबंधन को लेकर किसानों के जागरूक होने पर उनके खाद पर होने वाला खर्च कम होगा और पैदावार भी बढ़ेगी।

- अनिल अहलावत, एडीओ, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग । किसान को सजा का डर दिखाने की बजाए, उसे पराली जलाने से उसके खेत को होने वाले नुकसान को समझाना अधिक आवश्यक है। वहीं किसान समूह बनाकर मशीनें खरीद सकते हैं। किसान एबी प्लाव मशीन का पराली प्रबंधन में प्रयोग करे। मैंने खुद पराली प्रबंधन कर पैदावार को 30 फीसद तक बढ़ाया है।

- कृष्ण, प्रगतिशील किसान, रिठाल । आज किसान की हालत पतली है। मशीनें खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं है। किसान की पराली को सरकार खरीदे और उसे नकद पैसे दे तो पराली का उचित प्रबंधन हो सकता है। या किसानों को खेतों से पराली निकालने के लिए लेबर का खर्च सरकार वहन करे। ताकि किसान को फायदा पहुंच सके।

- ऋषिपाल, किसान, ¨सहपुरा । फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए आज भारी मात्रा में यूरिया का प्रयोग किया जा रहा है जबकि यह यूरिया सरकार ने ही शुरू किया था। पहले किसान गोबर की खाद का प्रयोग ही खेतों में करते थे। पराली से भी किसान को मुनाफा होना चाहिए। गांवों में मशीनें लगाकर सरकार पराली का प्रबंधन करे ।

- महेंद्र प्रधान, किसान । किसानों में अब जागरूकता बढ़ रही है और पराली जलाने के मामले बहुत कम हो रहे हैं। किसानों को और भी जागरूकता की जरूरत है। पराली का उचित प्रबंधन करने की सख्त जरूरत है। इससे किसानों को ही फायदा पहुंचेगा और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा। सरकार भी और अच्छी योजना बनाए।

- राजपाल किसान ।


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