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मंदिरों में नाम मात्र की भीड़, मास्क लगाने में कोताही बरत रहे लोग

रेलवे स्टेशन स्थित शिव मंदिर में पहले पहले के जैसी चहल-पहल नहीं है। सुबह के करीब साढ़े नौ बजे हैं और पूजा के लिए लोगों का आवगमन तो हैं लेकिन काफी कम।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 07:28 AM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 07:28 AM (IST)
मंदिरों में नाम मात्र की भीड़, मास्क लगाने में कोताही बरत रहे लोग
मंदिरों में नाम मात्र की भीड़, मास्क लगाने में कोताही बरत रहे लोग

जागरण संवाददाता, रोहतक : शहर के रेलवे स्टेशन स्थित शिव मंदिर में पहले पहले के जैसी चहल-पहल नहीं है। सुबह के करीब साढ़े नौ बजे हैं और पूजा के लिए लोगों का आवगमन तो हैं, लेकिन काफी कम। लॉकडाउन से पहले आने वाली भीड़ के मुकाबले 20 फीसद या उससे भी कम। अनलॉक में कुछ शर्ताें के साथ धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत मिली। मंदिर में मास्क पहनना, शारीरिक दूरी और मंदिर प्रबंधन को सैनिटाइजर आदि के इंतजाम करने अनिवार्य किए गए।

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मंदिर में भीड़ तो कम रही। हालांकि, नियमों की पालना नहीं दिखी। भीड़ कम होने से शारीरिक दूरी दिखी। लेकिन, मास्क पहनने में युवा से लेकर बुजुर्ग तक कोताही बरत रहे हैं। कोविड-19 से संक्रमितों की संख्या रोजाना बढ़ रही है। ऐसे में यह लापरवाही भारी पड़ सकती है। जरूरत है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझे और कोरोना वायरस को जड़ से समाप्त करने में भूमिका निभाएं। यह याद रखें कि मार्च 2020 से पहले की दुनिया में हम नहीं जी रहे हैं। फिलाहल, जरूरत है कि प्रशासन की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के तरह रोजमर्रा के कार्यों को नियोजित करें। प्रसाद विक्रेता न मास्क पहन रहे न गलब्ज

सुबह करीब पौने दस का समय है रेलवे स्टेशन के निकट स्थित शिव मंदिर परिसर में प्रसाद के स्टॉल पर विक्रेता बगैर मास्क व गलब्ज के दिखे। इक्का-दुक्का प्रसाद लेने आए तो बगैर हाथ धोए या सैनिटाइजर के उपयोग के प्रसाद को तोलकर श्रद्धालु को पकड़ा दिया। स्टॉल विक्रेता के साथ ही प्रसाद लेने वाले को भी इससे कोई समस्या नहीं दिखी। भगवान को भोग लगाने के बाद यह प्रसाद लोगों में बांटा जाएगा। खुद ही अंदाजा लगाइए कितनी बड़ी लापरवाही है। न घंटियों पर कपड़ा, न सैनिटाइजर का प्रबंध

सुबह के करीब सवा दस बजे हैं और शिवाजी कालोनी स्थित सनातन धर्म मंदिर में लोगों का आवागमन सीमित संख्या में जारी है। गर्भगृह में लगी एक घंटी को एक नौजवान ने बजाया व आगे बढ़ गया। कुछ ही क्षणों में एक बुजुर्ग महिला ने उसी घंटी को श्रद्धापूर्वक बजाया। हाथों को न पानी से धोया न ही सैनिटाइजर की व्यवस्था थी। जाने-अंजाने हम ही वायरस को बढ़ावा दिया जा रहा है।


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