Move to Jagran APP

बाप-बेटे की हत्या के मामले में नौ दोषियों को सुनाई सजा

जागरण संवाददाता रोहतक काहनौर में हुए बाप-बेटे की हत्या के मामले में अतिरिक्त जिला एवं

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 06:34 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 06:34 PM (IST)
बाप-बेटे की हत्या के मामले में नौ दोषियों को सुनाई सजा
बाप-बेटे की हत्या के मामले में नौ दोषियों को सुनाई सजा

जागरण संवाददाता, रोहतक : काहनौर में हुए बाप-बेटे की हत्या के मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितू वाइके बहल की कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें और सबूतों के आधार पर धारा-302 को तोड़ते हुए 304पार्ट-2 के तहत आरोपितों को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने गैर इरादन हत्या में दोषी ठहराते हुए दो दोषियों को पांच-पांच साल और सात दोषियों को तीन-तीन साल की सजा दी है। यह था मामला

loksabha election banner

मामले के अनुसार, काहनौर के रहने वाले रविद्र ने 12 जुलाई 2016 को कलानौर थाने में शिकायत दी थी। आरोप था कि रात के समय उसका भाई रवि और वह अपने पड़ोसी राहुल की घुड़चढ़ी में नाच रहे थे। जबकि उसका पिता जोगीराम साथ चल रहा था। इसी बीच एक व्यक्ति ने रवि के साथ मारपीट शुरू कर दिया। मामला इतना बढ़ गया कि जयभगवान, प्रवीण, संदीप, अक्षय, सोनू, अशोक, कृष्ण, सोमबीर और प्रदीप ने रवि पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। बीच-बचाव में आए उसके पिता जोगीराम पर भी हमला किया गया था। इसमें दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद बाप-बेटे की मौत हो गई थी। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपितों को गिरफ्तार किया और कोर्ट में पेश किया। यह मामला तभी से कोर्ट में विचाराधीन था। धारा 304पार्ट-2 में ठहराए गए दोषी

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितू वाइके बहल की कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद सबूतों के आधार पर धारा-302 तोड़ दी। साथ ही सभी नौ आरोपितों को 304पार्ट-2 के तहत दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई। बचाव पक्ष के अधिवक्ता गौरव खुराना के अनुसार, कोर्ट ने फैसला दिया है कि इस मामले में आरोपितों की मंशा बाप-बेटे को मारने की नहीं थी। उनकी मंशा चोट मारने की थी। इसीलिए धारा-302 नहीं लगनी चाहिए। कोर्ट ने आरोपित जयभगवान और अशोक को पांच-पांच साल की सजा और बाकी आरोपितों को तीन-तीन साल की सुनाई है। इसके अलावा सभी आरोपितों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह बोले अधिवक्ता

हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से धारा-302 तोड़ना बेहद कम केस में होता है। 13 साल की प्रेक्टिस में ऐसा पहली बार हुआ है जब ट्रायल कोर्ट ने धारा- 302 तोड़ी है।

- गौरव खुराना, अधिवक्ता बचाव पक्ष


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.