एचआइवी पीड़ित प्रसूता और नवजात से अस्पताल में भेदभाव, जबरदस्ती छुट्टी देकर भेजा घर
एचआइवी पीड़ित प्रसूता और नवजात को आधा-अधूरा इलाज देकर अस्पताल से वापस भेज दिया गया। नवजात को भी एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी उपचार नहीं दिया गया।
जेएनएन, रोहतक। पंडित भगवत दयाल शर्मा स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में एक एचआइवी पीड़ित प्रसूता और नवजात को आधा-अधूरा इलाज देकर वापस भेज दिया गया। यही नहीं, प्रसूता के पति की एचआइवी जांच भी यह कहकर नहीं की गई कि संस्थान में किट ही खत्म हो गई है। प्रसूता के रिश्तेदार ने इस संदर्भ में जिला बाल कल्याण समिति के चेयरमैन को शिकायत देकर गुहार लगाई है।
बता दें कि कुछ दिनों पहले ही पीजीआइ में एचआइवी पीडि़त दंपती ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया था। इसके बाद राज्य महिला आयोग की टीम ने यहां का निरीक्षण किया था, जिसमें इस मामले में डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई थी।
जींद के सिविल अस्पताल से एचआइवी पीडि़त एक गर्भवती महिला को प्रसव के लिए पीजीआइ रेफर किया गया था। यहां महिला ने एक शिशु को जन्म दिया। बाल कल्याण समिति के चेयरमैन राजङ्क्षसह सांगवान को शिकायत करते हुए पीडि़त के रिश्तेदार ने आरोप लगाया है कि पीडि़त को प्रसव से पहले एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी का उपचार नहीं दिया गया।
उसके पति का एचआइवी टेस्ट भी नहीं किया गया। जब वह टेस्ट कराने के लिए पीजीआइ स्थित सेंटर पर पहुंचे तो आरोप है कि किट खत्म होने की बात कहकर उनका टेस्ट करने से मना कर दिया। इसके बाद पीड़ित को घर जाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मुहैया कराई गई। उधर, जब इस मामले को लेकर पीजीआइ प्रबंधन से बात की गई तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।
बाल कल्याण समिति, रोहतक के चेयरमैन राज सिंह सांगवान का कहना है कि एचआइवी पीड़ित प्रसूता के परिजनों ने इलाज के दौरान जींद स्वास्थ्य विभाग व पीजीआइ प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। अब इस मामले में जींद के सिविल सर्जन और पीजीआइ के प्रबंधन से रिपोर्ट मांगी जाएगी। जो तथ्य निकलकर आएंगे, उसके अनुसार ही कार्रवाई की जाएगी।
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