पशुओं पर प्रयोग के मामले में वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाने की जरूरत : डा. विजय पाल
जागरण संवाददाता, रोहतक : प्रयोगशालाओं में पशुओं पर प्रयोग के मामले में वैज्ञानिक प्रक्रिय
जागरण संवाददाता, रोहतक : प्रयोगशालाओं में पशुओं पर प्रयोग के मामले में वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है। प्रयोग में पशुओं को न्यूनतम शारीरिक पीड़ा सुनिश्चित होनी चाहिए। यह बात भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के उप निदेशक डा. विजय पाल ¨सह ने कही। वह शनिवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर मेडिकल बायोटेक्नोलोजी (सीएमबीटी) में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में बोल रहे थे।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलोजिकल्स की वैज्ञानिक डा. शिखा यादव ने बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यशाला में भाग लिया। प्रो. पुष्पा दहिया ने बताया कि एनीमल एक्सपेरीमेंटेशन के मामले में स्टैंडर्ड प्रॉसीजर के अंतरराष्ट्रीय मानक हैं। इसमें री प्लेसमेंट, रिडक्शन रिफाइनमेंट तथा रीहैबलीटेशन का सिद्धांत माना जाता है। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में एमडीयू के अधिष्ठाता, छात्र कल्याण प्रो. राजकुमार बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।
उप निदेशक एफएसएसएआई डा. विजय पाल ¨सह ने चूहों तथा खरगोशों पर चिकित्सीय प्रयोग के दौरान इंजेक्शन प्रोसीजर्स पर विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने विस्तारपूर्वक विषय की जानकारी दी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलोजीकल्स की वैज्ञानिक डा. शिखा यादव ने कहा कि प्रयोगशालाओं की चिकित्सीय प्रयोग के दौरान पशुओं के शारीरिक दर्द एवं कष्ट को न्यूनतम सीमा पर रखने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए एक्सीपेरीमेंटेशन में प्रॉसीजर रिफाइन्ड करने की जरूरत है।
उद्घाटन सत्र तथा तकनीकी सत्र में क्रमश: सहायक प्रोफेसर डा. हरि मोहन तथा डा. रश्मि भारद्वाज ने आभार प्रदर्शन किया। मंच संचालन नेहा और आस्था ने किया। कार्यशाला में एनीमल एक्सपेरीमेंटेशन बारे प्रैक्टीकल ट्रे¨नग भी आयोजित की गई। इस अवसर पर सीएमबीटी की प्राध्यापिका डा. अमिता सुनेजा, सीबीटी निदेशक प्रो. अनिल छिल्लर, प्रो. राजेश धनखड़, प्रो. विनीता शुक्ला, प्रो. जेपी यादव समेत फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंस के प्राध्यापक, सीएमबीटी के शोधार्थी-विद्यार्थी उपस्थित रहे।