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एमडीयू को कोर्ट से एक ओर झटका, एलएलबी पंचवर्षीय कोर्स की मेरिट लिस्ट फिर से जारी करने के निर्देश

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) को कोर्ट से एक ओर झटका मिला है। पंचवर्षीय एलएलबी कोर्स में दाखिले के लिए उन विद्यार्थियों को कोर्ट से राहत मिली है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 09:46 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 09:46 AM (IST)
एमडीयू को कोर्ट से एक ओर झटका, एलएलबी पंचवर्षीय कोर्स की मेरिट लिस्ट फिर से जारी करने के निर्देश
एमडीयू को कोर्ट से एक ओर झटका, एलएलबी पंचवर्षीय कोर्स की मेरिट लिस्ट फिर से जारी करने के निर्देश

जागरण संवाददाता, रोहतक : महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) को कोर्ट से एक ओर झटका मिला है। पंचवर्षीय एलएलबी कोर्स में दाखिले के लिए उन विद्यार्थियों को कोर्ट से राहत मिली है जिन्होंने समय पर आवेदन फॉर्म भरे लेकिन, दस्तावेज सही से अपलोड नहीं हुए। सीजेएम आशीष शर्मा ने अमन भारद्वाज बनाम एमडीयू व अन्य के केस में आदेश दिया है कि छात्र के आवेदन फॉर्म को स्वीकार कर के ही दाखिले की मेरिट लिस्ट तैयार की जाए।

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छात्र ने एमडीयू में एलएलबी पंचवर्षीय कोर्स में दाखिले के लिए आवेदन किया था। लेकिन, 21 अगस्त को मेरिट सूची जारी होने पर पता चला कि अमन का फॉर्म रद कर दिया गया है। विवि में संपर्क करने पर पता चला कि 12वीं कक्षा की मार्कशीट अपलोड नहीं होने पर दाखिला रद हुआ है। जबकि, सभी दस्तावेज सही से अपलोड किए गए थे। विवि अधिकारियों से मेल कर गुहार लगाई। लेकिन, समाधान नहीं हुआ। जिसपर आवेदक ने कोर्ट में याचिका दायर कर दी। अधिवक्ता देवव्रत दलाल, अनीश ओहल्याण,रजनीश सुंदरपुर व प्रदीप देशवाल ने छात्र का पक्ष रखा। कोर्ट ने एमडीयू को छात्र के फॉर्म को स्वीकार कर उसके अंकों के आधार पर मेरिट सूची जारी करने के निर्देश दिए। बता दें कि एमडीयू के पंचवर्षीय पाठ्यक्रमों के ऑनलाइन आवेदन को रद करने पर कई विद्यार्थी कोर्ट में पहुंचे हैं।

एमडीयू की गलती का खामियाजा भुगत रहे छात्र : इनसो अध्यक्ष

इंडियन नेशनल स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (इनसो) ने कहा कि एमडीयू प्रशासन ने सैकड़ों छात्र-छात्राओं के फॉर्म बगैर किसी गलती के रद कर दिए हैं। ऑनलाइन आवेदन में खामियों से विद्यार्थी परेशान है। विवि अधिकारी विद्यार्थियों की समस्याओं को अनसुना कर रहे हैं। प्रोस्पेक्ट्स में साफ लिखा है कि जब तक फॉर्म पूरा नहीं होगा तब तक फीस का विकल्प नहीं आएगा। ऐसे में विद्यार्थियों की फीस लेने के बाद आवेदन फॉर्म रद करने का कोई औचित्य नहीं है। विद्यार्थियों की समस्या को देखते हुए इनसो उनके संघर्ष में साथ खड़ा है। विद्यार्थियों को निशुल्क कानूनी मदद के लिए इनसो सदैव तत्पर रहेगा।


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