कैनवास पर उकेरी राजकुमार से महात्मा बुद्ध बनने की यात्रा
जागरण संवाददाता रोहतक जीवन के उथल-पुथल में इंसान इतना फंस जाता है कि उसे सत्य का ज्ञान नह
जागरण संवाददाता, रोहतक :
जीवन के उथल-पुथल में इंसान इतना फंस जाता है कि उसे सत्य का ज्ञान नहीं हो पाता। राजकुमार सिद्धार्थ एक राजा के घर में पैदा हुए। राजसी ऐशो-आराम और गृहस्थ जीवन का सुख भोगने के बाद वह सत्य की खोज में निकले। उन्होंने शासन, पत्नी और बच्चे तक को त्याग दिया। सत्य की खोज में वह देश-देश घूम और अलौकिक ज्ञान अर्जित कर महात्मा बुद्ध कहलाए। उनके जीवन पर आधारित पेंटिग के माध्यम से ललित कला के पांचवें सेमेस्टर के कलाकारों ने महात्मा बुद्ध के जीवन चक्र को रंगों के माध्यम से कैनवास पर उकेरा। मंगलवार को एमडीयू के ललित कला विभाग में लगाई गई पेंटिग प्रदर्शनी का पांचवां दिन रहा। जिसमें 1996 से लेकर 2019 के विद्यार्थियों ने अपनी कला को विभिन्न सामाजिक मुद्दों को दर्शाया। महात्मा बुद्ध के जीवन चक्र से एक आम इंसान को जोड़ने के लिए विद्यार्थी सौरभ, स्वीटी और खुशबू की टीम ने पेंटिग के माध्यम से बुद्ध के राजकुमार सिद्धार्थ से महात्मा बनने की यात्रा को दर्शाया। उन्होंने आर्केलिक ऑन कैनवास मीडियम की चार पेंटिग के माध्यम से बुद्ध के मुक्ति पथ को दर्शाया। इसके साथ ही उन्होंने शतरंज के खेल को दिखाया कि राजा अपनी रक्षा के चक्कर में सेना के साथ अपने मजबूत ताकत की भी बलि चढ़ा देता है। ठीक उसी प्रकार से आज का मनुष्य लालच भरा जीवन जी रहा है। वहीं 1996 के बैच की छात्रा तनु जुनेजा ने अपनी सोलो पेंटिग से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। उन्होंने पेंटिग में अपने 12 साल की यात्रा के दौरान प्राप्त अनुभवों को कैनवास पर दिखाने का प्रयास किया है। तनु ने बताया कि 1996 में एमडीयू के फाइन आर्ट विभाग दाखिला लेकर कला की बारिकियां, पेटिग, कलर और ब्रश के बारे में जाना। जगह-जगह घूमकर, वहां के माहौल को ऑब्जर्व कर बनाई पेंटिग
तनु ने बताया कि जब भी वह कहीं घूमने जाती है, तो वहां की हर चीज को एक कलाकार के तौर पर देखती हूं। यही वजह है कि उनकी पेंटिग्स से कला के प्रेमी अपने आप ही जुड़ जाते हैं। उन्होंने बहुत सारे लैंडस्केप बनाए हुए हैं। पहाड़ों की बस्ती, झरने, नदी और तालाब तैयार किए हैं। जगह-जगह पर जाकर उनके बारे में लोगों से पूछकर और नेट सर्फिंग कर और ऑब्जर्व करके तस्वीरों को कैनवास पर उतारती हूं। एक साल में मैंने 50 से ज्यादा आर्ट वर्क तैयार किए हैं। जिसमें अलग-अलग राज्यों की संस्कृति, उनकी दिनचर्या आदि को अपने आर्ट वर्क में शामिल किया है।