जन्माष्टमी पर 25 देव योग माया और 27 बाल गोपाल का हुआ जन्म
जागरण संवाददाता रोहतक जन्माष्टमी पर पीजीआइ और सिविल अस्पताल में 52 बच्चों का जन्म हुआ।
जागरण संवाददाता, रोहतक :
जन्माष्टमी पर पीजीआइ और सिविल अस्पताल में 52 बच्चों का जन्म हुआ। जिसमें 25 बालिकाएं और 27 बालक रहे। जन्माष्टमी पर बच्चों के जन्म को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव से जोड़कर देखा जाता है। हिदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जन्माष्मी पर मथुरा में देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान भगवान श्रीकृष्ण और दूसरी और गोकुल में यशोद्धा और नंद के यहां देवी योगा माया का जन्म हुआ था। प्रदेश सरकार इस स्वतंत्रता दिवस को महिला सशक्तिकरण की थीम पर मनाएगी। ऐसे में 25 बालिकाओं का जन्माष्टमी पर जन्म और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार पंचायत चुनाव में 50 फीसद महिला प्रत्याशी होने का नियम बनाने पर काम कर रही है। जन्माष्टमी पर जिन बालिकाओं ने जन्म लिया है वह महिला सशक्तिकरण के लिहाज से एक महत्वपूर्ण युग की परिचायक होंगी। पीजीआइ में जन्में 46 बच्चों में 21 बालिकाएं
पीजीआइ में 46 बच्चों का जन्म हुआ। 25 बालक व 21 बालिकाएं रहे। सिविल अस्पताल में कुल छह बच्चों का जन्म हुआ। जिसमें चार बालिकाएं और दो बालकों हैं। हालांकि, निजी अस्पतालों का आंकड़ा नहीं मिल पाया। धार्मिक इतिहास. इन परिस्थितियों में हुआ था देवी योगमाया का जन्म
श्रीकृष्ण के जन्म पर आकाशवाणी हुई कि बालक को नंदबाबा के घर ले जाया जाए। देवकी और वासुदेव ने आकाशवाणी के अनुसार निर्णय लिया। वासुदेव ने आधी रात में बाल गोपाल को टोकरी में रखकर जमुना नदी पार कर गोकुल पहुंचाया। इस दौरान योगामाया की माया से कारावास के प्रहरी गहरी नींद में सो गए। वासुदेव कृष्ण को गोकुल पहुंचाकर योगमाया के साथ वापस कारावास में आए। कंस को पता चला कि देवकी के गर्भ से शिशु पैदा हुआ है तो वह कारावास में उसे मारने आया। बालक की जगह कन्या देख वह क्रोधित हुआ और जैसे ही उसका वध करना चाहा, योगमाया ने आकाश मार्ग से जाते-जाते चेतावनी दी- दुष्ट कंस! तेरा काल जन्म ले चुका है। ---------------
केएस मोबिन