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आयोडीन की कमी से हो सकता है बांझपन, निर्धारित मात्रा में ही करें सेवन

जागरण संवाददाता, रोहतक : हमारे शरीर में आयोडीन एक महत्वपूर्ण माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स यानी

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 06:30 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 06:30 PM (IST)
आयोडीन की कमी से हो सकता है बांझपन, निर्धारित मात्रा में ही करें सेवन
आयोडीन की कमी से हो सकता है बांझपन, निर्धारित मात्रा में ही करें सेवन

जागरण संवाददाता, रोहतक : हमारे शरीर में आयोडीन एक महत्वपूर्ण माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स यानी कि सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो थायरॉइड हार्मोन के निर्माण के लिए आवश्यक है। अगर शरीर में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा हो जाए तो इसके विपरीत प्रभाव दिखाई देने लगते हैं। इसलिए बहुत जरूरी है कि आयोडीन की मात्रा का सेवन हमेशा ही सीमित मात्रा में करना चाहिए। इसकी कमी से महिलाओं में बांझपन तक हो सकता है।

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आयोडीन डिफेशियंसी यानी कि शरीर में आयोडीन तत्व की कमी है। यह हमारी डाइट का एक आवश्यक पोषण तत्व है। आयोडीन की कमी से हाइपो थायरॉइडिज्म हो जाता है। अगर समय रहते इसका उपचार न कराया जाए तो गर्भधारण करने में समस्या आना, बांझपन, नवजात शिशु में तंत्रिका तंत्र से संबंधित गड़बड़ियां आदि होने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ लोगों में आयोडीन का स्तर कम होने पर भी कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। हालांकि थकान, उनींदापन, मांसपेशियों की कमजोरी और महिलाओं में मासिक चक्र संबंधी गड़बड़ियां जैसे लक्षण हैं जिनसे हाइपोथायरॉइडिज्म की पहचान होती है। महिलाओं के शरीर में आयोडीन की कमी का उनके प्रजनन तंत्र की कार्यप्रणाली से सीधा संबंध है। हाइपोथायरॉइडिज्म बांझपन और गर्भपात का सबसे प्रमुख कारण है। जब थायरॉइड ग्लैंड की कार्यप्रणाली धीमी पड़ जाती है, तो वह पर्याप्त मात्रा में हार्मोनों का उत्पादन नहीं कर पाती है जिससे अंडाशयों से अंडों को स्त्रावित करने में बाधा आती है जो बांझपन का कारण बन जाती है। जो महिलाएं हाइपोथायरॉइडिज्म का शिकार होती हैं उनमें सेक्स में अरुचि, मासिक चक्र से संबंधित गड़बड़ियां और गर्भधारण करने में समस्या आना देखा जाता है। हाइपोथायरॉइडिज्म से पीड़ित महिलाएं अगर गर्भधारण कर भी लेती हैं तो गर्भ का विकास प्रभावित होता है। इसलिए सामान्य तौर पर सीमित मात्रा में ही आयोडीन का सेवन करना चाहिए और प्रयास होना चाहिए की महिलाओं, खासकर प्रसूताओं में आयोडीन का स्तर सामान्य रहे। इसलिए नियमित अंतराल पर इसकी जांच भी करानी चाहिए ताकि समय पर ही बीमारियों को पकड़ा जा सके और उनका उपचार किया जा सके। --आयोडीन को सोख लेता है निकोटिन, इसलिए नहीं करना चाहिए धूम्रपान धूम्रपान थायरॉइड को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। इसमें निकोटिन शरीर से आयोडीन को अवशोषित करता है यानी कि सोख लेता है। इससे हार्मोन का स्त्रावण प्रभावित हो जाता है। यह सबसे सामान्य कारण है जो बांझपन में योगदान देता है। इसलिए धूम्रपान नहीं करना चाहिए। हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि आयोडीन का सेवन सीमित मात्रा में ही करना है। अधिक या कम मात्रा में आयोडीन का सेवन आयोडीन संबंधी गड़बड़ियों की आशंका को बढ़ा देता है। --बांझपन को दूर करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों में हाइपो थायरॉइडिज्म का उपचार एक महत्वपूर्ण भाग है। अगर हाइपोथायरॉइडिज्म का उपचार करने के बाद में बांझपन की समस्या बरकरार रहती है तब बांझपन के लिए दूसरे उपचार की आवश्यकता पड़ती है। गर्भवती महिलाओं को जितनी जल्दी से जल्दी हो सके, शरीर में थायरॉइड के असामान्य स्तर की जांच करा लेनी चाहिए। अगर डायग्नोसिस में थायरॉइड से संबंधित गड़बड़ियों का पता चलता है, तो सुरक्षित गर्भावस्था और प्रसव और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए तुरंत उपचार कराना चाहिए। सीमित मात्रा में ही आयोडीन का सेवन करना चाहिए।

- डा. राधा कंबोज, गॉइनोकोलॉजिस्ट और आईवीएफ एक्सपर्ट।


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