इंजेक्शन से हुआ इंफेक्शन तो मरीज को छोड़कर भागे डॉक्टर, किशोर की मौत
जागरण संवाददाता रोहतक सांप के काटने के बाद पीजीआइ में दाखिल किए गए एक किशोर को इं
जागरण संवाददाता, रोहतक : सांप के काटने के बाद पीजीआइ में दाखिल किए गए एक किशोर को इंफेक्शन फैलते ही संबंधित विभाग के अध्यक्ष मरीज को छोड़कर भाग खड़े हुए। बताया जा रहा है कि विभागाध्यक्ष के मौके से भागने और जूनियर चिकित्सकों द्वारा मरीज को पर्याप्त उपचार न देने के चलते उसकी मौत हो गई। पीड़ित परिजनों ने पीजीआइ थाना पुलिस, स्वास्थ्य मंत्री समेत अन्य अधिकारियों को शिकायत देकर आरोपित चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
गांव आसन निवासी जयबीर पुत्र चतर सिंह ने बताया कि पांच अगस्त की शाम करीब साढ़े चार बजे उसके 16 वर्षीय बेटे हर्ष को सांप ने काट लिया था। जिसके बाद मरीज को तुरंत पीजीआइ की इमरजेंसी विभाग में लेकर पहुंचे। जहां पर चिकित्सकों ने इलाज करते हुए हर्ष को खतरे से बाहर बताया। इस दौरान चिकित्सकों ने बताया कि काटने वाला सांप अधिक जहरीला नहीं है, जिसके चलते एएसवी (एंटी स्नेक वैक्सीन) लगाने की आवश्यकता नहीं है। जिसके बाद शाम करीब साढ़े छह बजे राउंड पर आए विभागाध्यक्ष ने पूछताछ करने के बाद अधीनस्त चिकित्सक को एएसवी लगाने के आदेश दिए। वैक्सीन लगाने के बाद तुरंत बाद हर्ष की बॉडी ने रिएक्शन शुरू करना शुरू कर दिया, जिससे उसके सीने में दर्द और सांस लेने में परेशानी होने लगी। मरीज को परेशानी होते देख आरोपित चिकित्सक मौके से भाग गए और दोबारा मरीज को देखने नहीं आए। इसके बाद भी चिकित्सकों ने हर्ष को वार्ड में शिफ्ट कर दिया। रात करीब 10 बजे मरीज की ईसीजी कराई गई, जिसकी रिपोर्ट भी मरीज की स्थिति को बयां कर रही थी। इसके बाद भी चिकित्सकों ने मरीज की स्थिति को ठीक बताया। रात करीब 12 बजे स्थिति अधिक बिगड़ने पर चिकित्सक मरीज को आइसीयू में लेकर गए। इसके बाद पांच मिनट बाद मौके पर तैनात चिकित्सक ने कहा कि मरीज के फेफड़ों में पानी भर गया है और अब इसका बचना मुश्किल है। इसके बाद करीब सवा तीन बजे हर्ष की मौत हो गई। पीड़ित ने आरोप लगाया कि उसके बेटे की मौत सांप के काटने से नहीं बल्कि चिकित्सकों की लापरवाही से हुई है। ---------
मैं अभी चंडीगढ़ हूं। घटना की जानकारी नहीं है। अभी तक इस संबंध में कोई शिकायत भी नहीं मिली है। फिर भी प्रकरण की जांच कराई जाएगी। यदि चिकित्सक की लापरवाही से मौत हुई है तो कार्रवाई की जाएगी।
--- डा. रोहताश यादव, निदेशक पीजीआइएमएस