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जाट संस्था में ईपीएफ के नाम पर 48 लाख के घोटाले का आरोप

जागरण संवाददाता, रोहतक : जाट संस्था के सीआर पॉलिटेक्निक में बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। ईपीएफ के नाम पर करीब 4

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 07:16 PM (IST)Updated: Wed, 10 Oct 2018 07:16 PM (IST)
जाट संस्था में ईपीएफ के नाम पर 48 लाख के घोटाले का आरोप
जाट संस्था में ईपीएफ के नाम पर 48 लाख के घोटाले का आरोप

जागरण संवाददाता, रोहतक : जाट संस्था के सीआर पॉलीटेक्निक में बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। ईपीएफ के नाम पर करीब 48 लाख रुपये का गोलमाल किया गया है। संस्था के आजीवन सदस्यों ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया के सामने घोटाले का पर्दाफाश किया। आरोप लगाया कि संस्था के पूर्व पदाधिकारियों से लेकर पॉलिटेक्निक का स्टाफ भी इसमें संलिप्त है। उन्होंने दावा किया है कि घोटाले के पूरे दस्तावेज उनके पास है और प्रशासक से मांग करते हुए कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच कर घोटाले में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

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मैना पर्यटन केंद्र में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए संस्था के आजीवन सदस्य एडवोकेट चंचल नांदल ने बताया कि सीआर पॉलिटेक्निक में ईपीएफ के नाम पर यह घोटाला हुआ है। संस्था में 1982 से 1992 के बीच 105 कर्मचारी कार्यरत थे। इनका ईपीएफ जमा नहीं कराया गया। उस ईपीएफ पर विभाग की तरफ से 18 लाख तीन हजार 396 रुपये जमा कराने के कोर्ट की तरफ से 18 दिसंबर 2004 को आदेश हुए। जो सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की जाट संस्था की ब्रांच के माध्यम से जमा करा दिया गया। उस वक्त 1982-1992 के बीच के अधिकतर कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके थे। उसकी बजाए संस्था के अधिकारियों और दो कर्मचारियों ने मिलकर अन्य कर्मचारियों का 18 लाख रूपया जमा करा दिया। इसमें जो पेनेल्टी संस्था के ऊपर लगी थी वह रुपया भी गलत तरीके से कर्मचारियों के खातों से ले लिया गया। जबकि यह संस्था को देना था।

2012-13 में आया एक करोड़ 36 लाख का रिफंड

आजीवन सदस्य ने दावा किया है कि 2012-13 में एक करोड़ 36 लाख रूपये किन्हीं और कर्मचारियों के अकाउंट में आरटीजीएस के माध्यम से सेंट्रल बैंक की ब्रांच में रिफंड आ गया। इसमें 48 लाख रुपये अतिरिक्त आ गए थे। उस समय पॉलीटेक्निक का पूरा रिकार्ड देख रहे दो कर्मचारियों ने इन कर्मचारियों से अतिरिक्त आए 48 लाख रुपये कैश करा लिए। जो न संस्था के खाते में जमा कराए और न ही वापस भेजे। इसका पूरा रिकार्ड भी उनके पास है।

जुलाई माह में कर दिया था पंचायती समझौता

एडवोकेट चंचल नांदल का कहना है कि जुलाई 2018 में इस घोटाले का पता चला। तब पंचायती फैसला कर तय किया गया कि दोनों कर्मचारी रुपये वापस दे देंगे। एक कर्मचारी ने 20 लाख रुपये वापस भी कर दिए, जिसमें से आठ लाख रुपये संस्था के खाते में और करीब 12 लाख रुपये 32 कर्मचारियों के खातों में जमा करा दिए। वह भी गलत किया गया। रुपया या तो प्राचार्य के खाते में जाना था या फिर ईपीएफ विभाग को। जबकि दूसरे ने रुपये देने से मना कर दिया। इसी बीच रुपये देने वाला कर्मचारी सेवानिवृत हो गया, तभी दूसरे कर्मचारी को प्रमोशन देकर उसके स्थान पर नियुक्त कर दिया गया। मांग करते हुए कहा कि इस मामले में संस्था के पूर्व पदाधिकारियों के अलावा 2012-13 से लेकर अब तक रहे प्राचार्याें की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। आजीवन सदस्यों ने पिछले दिनों महारानी किशोरी जाट कन्या महाविद्यालय में चल रही नियुक्ति में धांधली का आरोप लगाया है। कहा कि जिस महिला अभ्यर्थी के पास नकल मिली थी उसे ब्लैक लिस्ट करना चाहिए, जिससे दोबारा से वह टेस्ट में न बैठ सके, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इस मौके पर आजीवन सदस्य निर्मला, अतर ¨सह नांदल, बलवान माजरा, रविन्द्र नांदल, अनिल दूहन, हिमांशु राठी, प्रमोद नांदल और संदीप नांदल आदि मौजूद रहे।


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