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ईको फ्रेंडली बसों के टेंडर पर विवाद के बादल, एक फर्म ने भेजा कानूनी नोटिस, अब जाएंगे कोर्ट

ईको फ्रेंडली बसों के संचालन के लिए किए गए टेंडर विवादों में आ गए हैं। एक निजी एजेंसी ने नगर निगम को लीगल नोटिस थमाया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 06:08 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 06:08 AM (IST)
ईको फ्रेंडली बसों के टेंडर पर विवाद के बादल, एक फर्म ने भेजा कानूनी नोटिस, अब जाएंगे कोर्ट
ईको फ्रेंडली बसों के टेंडर पर विवाद के बादल, एक फर्म ने भेजा कानूनी नोटिस, अब जाएंगे कोर्ट

अरुण शर्मा, रोहतक

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ईको फ्रेंडली बसों के संचालन के लिए किए गए टेंडर विवादों में आ गए हैं। एक निजी एजेंसी ने नगर निगम को लीगल नोटिस थमाया है। कोर्ट में जाने की चेतावनी दी है। यह भी दावा किया है कि हमने बीते सप्ताह ही पुराने टेंडर को रद न करने की अपील की थी। फिर ने भी निगम अधिकारियों ने लीगल नोटिस को नजरअंदाज करके नए सिरे से टेंडर कर दिए हैं।

बीते साल फरवरी में नगर निगम ने जींद रोड स्थित जन उत्थान संघ को बसों के संचालन का जिम्मा मिला था। संबंधित फर्म ने बसों के संचालन के लिए क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) से अनुमति मांगी थी। बीते साल मार्च माह में अनुमति मिलने के दौरान ही कोरोना संक्रमण काल शुरू हो गया। इसलिए अप्रैल तक मामला टल गया। फिर बसों के संचालन को लेकर राह प्रशस्त नहीं हो सकी। अब निगम ने नए सिरे से बुधवार को टेंडर किए हैं। अगले एक-दो दिनों के अंदर ही टेंडर खोले जाएंगे। संबंधित एजेंसी ने दावा किया है कि नगर निगम ने पूरे मामले में मनमानी वाला रवैया अपनाया है।

बीएस-4 और बीएस-6 श्रेणी की बसों के कारण हुई देरी

नगर निगम ने जन उत्थान संघ को बसों के संचालन का जिम्मा फरवरी में दिया था। बीते साल फरवरी के आखिर में वर्क ऑर्डर मिला था। निगम की शर्त के हिसाब से ट्रायल के तौर पर पांच सीएनजी(कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस) बसों का संचालन होना था। उस दौरान बीएस-4 श्रेणी बसों के संचालन के लिए आरटीए कार्यालय से बसों के संचालन के लिए अनुमति का प्रावधान था। मार्च माह में लॉकडाउन के चलते बीएस-4 श्रेणी की बसों का टोटा कंपनियों में था। इसलिए नई बसें नहीं खरीदी जा सकीं।

अप्रैल माह से बीएस-6 श्रेणी की बसों के संचालन के लिए ही अनुमति का नियम देश में लागू हो गया। ऐसे में योजना पर अतिरिक्त खर्चा बढ़ने से मामला ठंडे बस्ते में चला गया। शर्तों के हिसाब से प्रति बस के हिसाब से 11-11 हजार रुपये जमा कराने थे। संबंधित फर्म को प्रति माह शुल्क जमा कराने से भी राहत भी नहीं मिली थी। बीएस-4 श्रेणी से होता था हानिकारक गैसों का उत्सर्जन

विशेषज्ञों का मानना है कि बीएस-4 श्रेणी की बसों के संचालन से हवा में सल्फर का उत्सर्जन अधिक होता था। नाइट्रोजन आक्साइड का भी अधिक उत्सर्जन के दावे थे। प्रदूषण का प्रमुख कारक भी इन हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को माना जाता था। ईको फ्रेंडली बसों का संचालन नए बस अड्डे से हिसार बाइपास चौक, नए बस अड्डे से जींद बाइपास चौक, नया बस अड्डा से सुनारिया जेल, बोहर से हिसार बाइपास चौक और बलियाना से जींद बाइपास आदि रूट पर होना था। हमने संबंधित फर्म का टेंडर रद कर दिया और नए सिरे से टेंडर किए हैं। संबंधित एजेंसी बसों के संचालन के लिए राजी नहीं थी। कोई लीगल नोटिस भेजा गया है, इसे लेकर मुझे जानकारी नहीं।

प्रदीप गोदारा, आयुक्त, नगर निगम नगर निगम ने मेरा टेंडर रद किया, लेकिन एक लाख रुपये की सिक्योरिटी नहीं लौटाई। कार्रवाई करने में छह-सात हजार रुपये खर्च हो गए। यह सभी खर्चे और सिक्योरिटी लौटाई जाए। नए नियमों से योजना में अतिरिक्त खर्चा आना था। इसलिए मैंने शुल्क माफी को लेकर कहा था। मुझे टेंडर रद करने के लिए नोटिस मिला था। इसलिए मैंने भी बीते सप्ताह टेंडर रद न करने का लीगल नोटिस भेजा था। अब मैं कोर्ट जाउंगा।

डा. राजपाल देशवाल, प्रधान, जन उत्थान संघ


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