Move to Jagran APP

गुरुग्राम प्रशासन की लापरवाही, कोरोना संक्रमित परिवार के चार अन्य सदस्य भी पॉजिटिव

जागरण संवाददाता रोहतक कोरोना महामारी के बीच में गुरुग्राम जिला प्रशासन की बड़ी लापरव

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 06:33 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 06:14 AM (IST)
गुरुग्राम प्रशासन की लापरवाही, कोरोना संक्रमित परिवार के चार अन्य सदस्य भी पॉजिटिव
गुरुग्राम प्रशासन की लापरवाही, कोरोना संक्रमित परिवार के चार अन्य सदस्य भी पॉजिटिव

जागरण संवाददाता, रोहतक :

loksabha election banner

कोरोना महामारी के बीच में गुरुग्राम जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रशासन की लापरवाही का आलम यह रहा कि दंपती के कोरोना संक्रमित मिलने के बाद भी उनके बच्चे व अन्य परिजनों के सैंपल नहीं कराए। पीजीआइ के अधिकारियों की सूचना पर जब सैंपल कराए गए तो पीड़ित के तीन बच्चों समेत चार परिजनों की रिपोर्ट शनिवार देर रात पॉजिटिव आई।

गुरुग्राम निवासी ईशरत खातून के मुताबिक उनके पति मुहम्मद रजा की तबियत 16 मई की रात अचानक सांस लेने में परेशानी, बुखार की समस्या हुई। जिसके बाद उन्होंने कंट्रोल रूम में फोन कर मदद मांगी, लेकिन एंबुलेंस न होने की बात कहते हुए अधिकारियों ने उन्हें टाल दिया। इसके बाद पड़ोसी की मदद से निजी अस्पताल में ले गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और घर वापस आ गए। अगले दिन पड़ोसी ने ही उन्हें सिविल अस्पताल तक पहुंचाया। घंटों तक अस्पताल में इंतजार करने के बाद आखिर पीजीआइ के लिए रेफर कर दिया। जिसके बाद मोहम्मद रजा ने ईशरत को पीजीआइ रेफर करने की बात भी बताई। पीजीआइ में जांच के दौरान 18 मई को मुहम्मद रजा को संक्रमण की पुष्टि हुई तो ईशरत भी पड़ोसी की मदद से पीजीआइ में पहुंच गई। इसके बाद 19 मई को मुहम्मद रजा की मौत हो गई। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पीड़ित परिवार के बच्चों के सैंपल भी नहीं कराए। पीजीआइ स्टाफ ने पीड़िता से संपर्क करते उनका सैंपल भी जांच के लिए भेजा तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद पीड़िता को भर्ती कर पीजीआइ के अधिकारियों ने गुरुग्राम स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराया, जिसके बाद पीड़िता की तीन बेटियां और पिता का सैंपल कराया गया। शनिवार देर रात चारों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। रविवार को ईशरत की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर उन्हें पीजीआइ से छुट्टी दे दी गई। समय से मिलता मुहम्मद रजा को इलाज तो शायद बचती जान

पीड़िता के मुताबिक उन्होंने 16 मई की रात को ही एंबुलेंस बुलाने के लिए फोन किया, लेकिन एंबुलेंस न होने की बात कहते हुए फोन काट दिया गया। इसके बाद 17 मई को भी अस्पताल में घंटों तक कार्ड बनवाने के लिए लाइन में लगाए रखा। यदि चिकित्सक 16 मई को ही पीड़ित का उपचार शुरू कर देते तो शायद आज नादान तीन बेटियों के सिर से पिता का साया न उठता और ईशरत का भी जहां न लुटता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.