गफलत : ¨रग रोड का निर्माण हुआ नहीं दिशासूचक बोर्ड लगा दिया पहले
लाखनमाजरा : अक्सर सरकारी विभागों व निगमों की लापरवाही के किस्से सुनते आए हैं, लेकिन यहां मामला उल्टा है। विभाग की दूरदर्शिता व आगामी समझ ही लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। इसी दूरदर्शिता से होने वाली परेशानी का एक उदाहरण एनएचएआई की एडवांस नीति राहगीरों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। रोहतक-जींद आउटर ¨रग रोड का निर्माण कार्य अभी शुरू भी नहीं हुआ, लेकिन विभाग ने पानीपत जाने के लिए वहां पर दिशासूचक बोर्ड पहले से लगा दिया। जो राहगीरों के लिए न केवल असमंजस की स्थिति पैदा कर रहा है, बल्कि हादसे का कारण भी बन रहा है।
प्रदीप राठी, लाखनमाजरा
सरकारी विभागों और निगमों की लापरवाही का खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ता है। यहां एनएचएआइ की एडवांस नीति राहगीरों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है। रोहतक-जींद आउटर ¨रग रोड का निर्माण कार्य अभी शुरू भी नहीं हुआ, लेकिन विभाग ने पानीपत जाने के लिए वहां पर दिशासूचक बोर्ड पहले से लगा दिया। जो राहगीरों के लिए न केवल असमंजस की स्थिति पैदा कर रहा है, बल्कि हादसे का कारण भी बन रहा है।
दरअसल, रोहतक के चारों तरफ करीब 10 किलोमीटर के दायरे में आउटर बाईपास का निर्माण किया जाना था, जिसका मकसद रोहतक के चारों तरफ से गुजरने वाले मार्गों को आपस में जोड़ना था। इसका कार्य लगभग पूरा हो चूका था व बाईपास भी शुरू हो गया, मगर रोहतक-जींद रोड से पानीपत गोहाना रोड को जोड़ने वाले रोड पर कार्य शुरू नहीं हो सका। इसकी वजह यह रही कि जैसे ही कार्य शुरू होना था तभी मामला कोर्ट में पहुंच गया। कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया। जिस कारण निर्माण के लिए मिट्टी तक भी नहीं डाली। जबकि विभाग की तरफ से समरगोपालपुर खुर्द चौक के पास दिशासूचक बोर्ड पहले लगा दिया गया। अब हालात यह है कि जैसे ही कोई वाहन चालक बोर्ड देखता वह उस तरफ मूड़ने की कोशिश करता है, लेकिन आगे रास्ता तो दूर की बात पैदल भी नहीं जा सकते। जिस जगह से ¨रग रोड बनने है वहां पर अभी भी खेतीबाड़ी हो रही है। इस वजह से कई बार हादसे भी हो चुके हैं।
ग्रामीण बोले, जल्दी से जल्दी बनाया जाए रोड
ग्रामीण रामपाल, सुरेंद्र और जगदीश आदि का कहना है कि ¨रग रोड नहीं बनने के कारण काफी परेशानी हो रही है। यदि ¨रग रोड बना दिया जाए तो आसपास के लोगों को काफी फायदा होता। रोड का निर्माण हुए बिना ही दिशासूचक लगाना भ्रम पैदा कर रहा है। कई बार रात के समय हादसे भी हो चुके हैं। अधिकारियों को इसके बारे में अवगत कराया जा चुका है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।