नौकरों के नाम पर फर्जी फर्म बनाकर किया 38 करोड़ का गोलमाल, एक गलती से खुल गई पोल
राेहतक के एक व्यक्ति ने नौकरों के नाम पर दो फर्जी कंपनियां बना लीं और फिर करीब 38 करोड़ रुपये का गोलमाल कर लिया। लेकिन एक छोटी से गलती से वह पकड़ा गया।
रोहतक, जेएनएन। एक कारोबारी ने नौकरों के नाम पर फर्जी कंपनी बनाकर 38 करोड़ रुपये का गोलमाल कर लिया। सोनीपत में जीएसटी के नाम पर हुए इस फर्जीवाड़े की जांच तेज हो गई है। खुलासा हुआ है कि बैक्वेंट हॉल संचालक ने नौकरों के नाम पर फर्जी फर्म बना डाली। उसने पत्नी के बैंक खाते में 25 लाख रुपये ट्रांसफर कराए तो सारी पोल खुल गई। पूरे मामले में अधिकारी दावा कर रहे हैं कि जल्द ही बड़ा खुलासा हो सकता है।
254 करोड़ के फर्जी बिल बनवाए, कई राज्यों में जांच, पत्नी के खाते में 25 लाख ट्रांसफर कराए तो खुली पोल
जांच अधिकारियों का दावा है कि कई राज्यों से पूरे प्रकरण में तार जुड़े हैं। संबंधित राज्यों को चिट्ठी लिखी गई हैं। सोनीपत की एजेंसी ने 254 करोड़ रुपये के फर्जी बिल बनाए। 18 फीसद के हिसाब से 38 करोड़ की जीएसटी की चोरी की गई है। इसमें रोहतक आयुक्तालय से जुड़े जिलों में आठ करोड़ की चोरी की गई, जबकि शेष 30 करोड़ की रकम दूसरे आयुक्त कार्यालयों से जुड़ी हुई है।
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के एडिशनल कमिश्नर महेंद्र सिंह ने बताया कि सोनीपत में बैक्वेंट हॉल संचालक नवीन ने प्लंबर सिद्धार्थ और इलेक्ट्रीशियन जितेंद्र के नाम फर्मी फर्म खोलीं। दोनों ही कर्मी बैक्वेंट हाल में कार्यरत हैं। इनका कहना है कि फर्जी बिलों के नाम पर पिछले कई माह से टैक्स चोरी हो रही थी। पूरे प्रकरण में फर्मों के एकाउंट नंबर रडार पर थे।
सोनीपत में दो फर्जी फर्म बनाई, 38 करोड़ का किया गोलमाल
अचानक छापा मारा गया तो जांच में पाया गया कि बैक्वेंट हॉल संचालक ने अपनी पत्नी के खाते में 25 लाख ट्रांसफर किए थे। पहले तो जांच में बैक्वेंट हॉल संचालक ने झूठ बोला, लेकिन बाद में फर्म के अकाउंट नंबर से पत्नी के खाते में रकम ट्रांसफर करने की जानकारी दी तो खुद ही सच्चाई बया करने लगा। खास बात यह है कि बैक्वेंट हॉल में कार्यरत इलेक्ट्रिशियन और प्लंबर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं। एक कर्मी तो जर्जर 60 गज के ही घर में रहता है। जांच में साक्ष्य के तौर पर जानकारी जुटाई गई है। नवीन को कोर्ट में पेश किया जा चुका है।
इन दो फर्जी फर्मों के नाम से किया फर्जीवाड़ा
नवीन ने शाह इंपेक्स और आर्चिड ओवरसीज नाम से दो फर्म बनाईं। लगातार दूसरे जिलों के अलावा बाहरी कई राज्यों से माल खरीदने के फर्जी बिल बनवाए। शाह इंपेक्स ने 140 करोड़ के फर्जी बिल और 114 करोड़ के आर्चिड ओवरसीज नाम से फर्जी बिल बनवाए। जांच में यह भी सामने आया है कि शाह इंपेक्स ने 21 करोड़ और आर्चिड ओवरसीज ने 17 करोड़ रुपये के जीएसटी के टैक्स की चोरी की है। जब जांच के साथ अचानक छापे डाले गए तो सभी फर्जी दस्तावेज व अन्य साक्ष्य भी मौके पर ही मिल गए। इसलिए मामले को समझने में ज्यादा देर नहीं लगी। यह भी कहना है कि पूरे प्रकरण में अन्य सभी की जांच शुरू हो गई है।
इन राज्यों व जिलों में भेजे पत्र
अधिकारी कहते हैं कि गुरुग्राम, राजस्थान के जयपुर, कोटा में चिट्ठी भेजी गई हैं। दिल्ली के अलावा पुणे, पंचकूला, फरीदाबाद, मुंबई तक से तार जुड़े हुए हैं। इसलिए पूरे प्रकरण में जल्द ही कोशिश है कि दूसरे जिलों व राज्यों के अधिकारियों से संपर्क करके पूरा खुलासा किया जाए। 90 लाख की रिकवरी भी कर ली है।
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