चेयरमैन सतीश भालौठ को मनाने के लिए पूर्व मंत्री ग्रोवर का आया फोन, अब राजनीति शुरू
भाजपा नेता एवं जिला परिषद के चेयरमैन सतीश भालौठ ने मंगलवार को दूसरे दिन भी धरना दिया। धरने को लेकर अब राजनीति गरम हो गई है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : भाजपा नेता एवं जिला परिषद के चेयरमैन सतीश भालौठ ने मंगलवार को दूसरे दिन भी धरना दिया। धरने को लेकर अब राजनीति गरम हो गई है। विरोधी जिला पार्षदों ने तंज कसा है। अधिकारियों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। चेयरमैन को मनाने लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने कवायद शुरू कर दी है। पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर ने फोन करके नाराजगी का कारण पूछा है।
विकास भवन स्थित जिला परिषद कार्यालय में खुद के कार्यालय में चेयरमैन सतीश भालौठ के धरने में शामिल होने के लिए वाइस प्रेसीडेंट राजेंद्र वाल्मीकि, जिला पार्षद धर्मबीर, जेपी भाली भी पहुंचे। कुछ सामाजिक संगठन और पंचायतें भी पहुंची। धरने के चलते चेयरमैन के कार्यालय का संचालन भी फर्श पर बैठकर हुआ। वहीं, चेयरमैन ने कहा कि डीसी कैप्टन मनोज कुमार ने पूरे मामले में संज्ञान लिया है। कुछ मामलों को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने रिपोर्ट भेजी है, लेकिन सभी विभागों के जवाब मिलने के बाद ही रिपोर्ट का अवलोकन किया जाएगा। चेयरमैन का कहना है कि डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी) डा. विजय लक्ष्मी नांदल भी निजी स्कूलों के संदर्भ में रिपोर्ट लेकर पहुंची।
टावर प्रकरण और पंचायती राज विभाग पर सख्त
चेयरमैन का दावा है कि ज्यादातर मामलों में रिपोर्ट लेकर अधिकारी आ चुके हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में निजी संचार कंपनियों की तरफ से लगाए गए टॉवर प्रकरण में रिपोर्ट नहीं मिली है। जब तक लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी तब तक सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे नियमित चलने वाला धरना समाप्त नहीं होगा। ब्याज के पैसों से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य कराने के मामले में पंचायती राज विभाग के अधिकारियों का चंडीगढ़ से भी कोई जवाब नहीं मिला है। वर्जन
पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर का फोन आया था। उन्होंने कहा कि सरकार से कोई शिकायत है तो बताएं। मैंने कह दिया कि संगठन और सरकार से कोई शिकायत नहीं। जो अधिकारी चेयरमैन, जिला पार्षदों की सुनवाई नहीं करते हैं उनके खिलाफ यह धरना है। अधिकारी सुनवाई करेंगे तब धरना समाप्त हो जाएगा।
सतीश भालौठ, चेयरमैन, जिला परिषद
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अपने ही आफिस में अपनी सरकार के अफसरों के खिलाफ धरना दिया जा रहा है। एसी में बैठकर तो धरने नहीं होते हैं। यदि अधिकारी नहीं सुन रहे हैं तो डीसी आफिस में धरना दें। यह तो धरने के नाम पर मजाक है।
नवीन मलिक, जिला पार्षद, जिला परिषद