कोरोना के चलते पांच हजार सर्जरी रद, मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
पीजीआइ रोहतक में पांच हजार सर्जरी रद होने संबंधी समाचार का मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। इसकी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। COVID_19 महामारी के कारण रोहतक के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में पांच हजार सर्जरी रद करने के संबंध में समाचार पत्रों की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए, मानवाधिकार आयोग हरियाणा ने पीजीआइएमएस रोहतक और स्वास्थ्य विभाग हरियाणा से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
हरियाणा मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस एसके मित्तल, सदस्य केसी पुरी व सदस्य दीप भाटिया पर आधारित बेंच ने हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व पीजीआइ रोहतक के निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। आयोग ने स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव से लोगो के इलाज के बारे स्वास्थ्य विभाग द्वारा उठाए जा रहे कदम, छोटी-बड़ी सर्जरी व ओपीडी के कार्य पर विस्तृत रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
प्रकाशित समाचार में बताया गया था कि पीजीआइ रोहतक में हर महीने छोटी बड़ी कुल मिलाकर 15384 सर्जरी होती है। साल 2019 में पीजीआइ में 184617 व 2018 में 183478 सर्जरी हुई थी। लगभग इतनी ही सर्जरी राज्य के अन्य अस्पतालों में होती है। समाचार के अनुसार इतनी बड़ी संख्या में सर्जरी टलने से गरीब व असहाय कष्ट से गुजर रहे हैं, क्योंकि पैसे वाले लोग तो निजी अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैंं लेकिन वो गरीबी के चलते केवल पीजीआइ या सरकारी अस्पताल के भरोसे है और उनके पास कोई विकल्प नहीं है। पीजीआइ ने कोविड अस्पताल के चलते सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इलेक्टिव सर्जरी को रोक दिया है और अब सिर्फ आपात सर्जरी ही की जा रही है। इसके चलते मरीजों को समस्या हो रही है और आगे भी सर्जरी शुरू होने की उम्मीद कम ही है।
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि स्वास्थ्य विभाग को कोविड-19 के डर से सर्जरी को रद नहीं करना चाहिए। उन्हेंं उन लोगों का इलाज भी करना होगा जो अन्य बीमारी से पीड़ित हैं। उन व्यक्तियों की सर्जरी और उपचार न करना जो विभिन्न गंभीर बीमारियों से पीडि़त हैं, यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि स्वास्थ्य विभाग कोविड-19 महामारी की आड़ में अन्य बीमारी के इलाज से इनकार नहीं कर सकता। आयोग ने अतिरिक्त मुख्य सचिव व पीजीआइ रोहतक के निदेशक को 17 जून तक इस बाबत विस्तृत जवाब देने को कहा हैं।