फर्जी दस्तावेजों पर खड़ी कर दी फर्म और कर दिया फर्जीवाड़ा
केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर(सीजीएसटी) के अधिकारियों ने फर्जी फर्म बनाकर फर्जीवाड़ा करने वालों की धरपकड़ के लिए जांच तेज कर दी है।
जागरण संवाददाता, रोहतक : केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर(सीजीएसटी) के अधिकारियों ने फर्जी फर्म बनाकर फर्जीवाड़ा करने वालों की धरपकड़ के लिए जांच तेज कर दी है। एक आरोपित को जेल भेजा जा चुका है। अन्य आरोपितों की धरपकड़ जल्द करने की कोशिश में अधिकारी जुटे हुए हैं। वहीं, अभी तक जांच में सामने आया है कि जो भी फर्म बनाई गई थीं उनके लिए फर्जी दस्तावेज लगाए गए थे। फर्जी फर्म बनाने के लिए जिन लोगों के दस्तावेजों का उपयोग किया गया था उन्हें चिह्नित कर लिया है। जल्द ही उन सभी लोगों से पूछताछ होगी। हालांकि प्राथमिक जांच में सामने आया है कि फर्म बनाने के लिए ऐसे लोगों के दस्तावेजों का उपयोग किया गया, जोकि बेहद कम पढ़े-लिखे या फिर छोटे कार्यों से जुड़े हुए हैं।
डायरेक्टर जनरल आफ जीएसटी इंटेलीजेंस रोहतक इकाई के अधिकारियों ने दो फर्मों के दस्तावेजों की जांच कर ली है, हालांकि तमाम बिदुओं पर जांच शेष है। अन्य पांच फर्मों को बनाने में किन-किन लोगों के दस्तावेजों का उपयोग किया। कहां-कितना क्रेडिट लिया गया, इसकी जांच शुरू होगी। दो फर्मों को बनाने में फतेहाबाद के टोहाना में ही कुछ लोगों के दस्तावेज जुटाने की बात सामने आ रही है। इन फर्मों के अलावा हिसार निवासी सतिदर कुमार सिगला ने कितनी और कहां फर्म बनाकर क्रेडिट लिया, इसकी जांच की जा रही है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि आरोपित को रिमांड पर लेकर मामले का राजफाश किया जा सकता है। बता दें कि करीब 75 करोड़ रुपये के फर्जी बिल बनाकर दो फर्मों के माध्यम से 13.08 करोड़ रुपये का इनपुट ले लिया। इसी मामले की जांच चल रही है। फतेहाबाद के नाम से यह फर्में पंजीकृत कराई गईं थीं।
स्क्रैप और सरिया के जिन लोगों ने बिल बनवाए उनकी भी तलाश
फर्जी फर्म बनाकर पिछले करीब तीन साल से फर्जीवाड़ा किया जा रहा था। लगातार इनपुट लिए जाने के बावजूद भी जीएसटी जमा न कराने के कारण फर्मों के अकाउंट नंबर रडार पर थे। अब उन लोगों की तलाश भी शुरू कर दी है, जिन्होंने फर्जी बिल बनाए। फर्जी बिलों का मामला लगातार कई घपलों में सामने आ चुका है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि स्क्रैप और सरिया ढोने के लिए ई-वे बिलों का उपयोग किया। ई-वे बिल बनवाने के बाद जिन वाहनों से माल ढुलाई दिखाई गई, उन वाहनों के नंबर भी जांच के दायरे में हैं। जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अक्सर ऐसे मामलों में ई-वे बिल यानी माल ढुलाई के उपयोग होने वाले वाहनों के नंबर नकली होते हैं। कई बार दो पहिया वाहनों को चार पहिया बनाकर पेश कर दिया जाता। इसलिए इस बिदु पर भी जांच चल रही है कि किन वाहनों से माल ढुलाई की गई।