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प्रदूषण से प्रभावित होती है फर्टिलिटी, गर्भपात का भी बढ़ता है खतरा

जागरण संवाददाता, रोहतक : प्रदूषण से स्वास्थ्य के साथ-साथ पुरूषों की फर्टिलिटी पर भी गहरा

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 03:15 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 03:15 PM (IST)
प्रदूषण से प्रभावित होती है फर्टिलिटी, गर्भपात का भी बढ़ता है खतरा
प्रदूषण से प्रभावित होती है फर्टिलिटी, गर्भपात का भी बढ़ता है खतरा

जागरण संवाददाता, रोहतक : प्रदूषण से स्वास्थ्य के साथ-साथ पुरूषों की फर्टिलिटी पर भी गहरा असर पड़ रहा है। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान ही गर्भपात हो जाने के पीछे भी यह एक प्रमुख कारण बनकर सामने आ रहा है। क्योंकि अत्यधिक प्रदूषण के असर से पुरूषों के शुक्राणुओं की क्वालिटी पर भी नकारात्मक पड़ रहा है। जहरीली हवा में सांस लेने से पुरूषों के शुक्राणुओं के खराब होने और स्पर्म काउंट में कमी आने की समस्याएं भी सामने आ रही हैं। रोहतक में हाल ही में आयोजित संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने इस बारे में गहन मंथन भी किया।

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इंदिरा आइवीएफ अस्पताल की विशेषज्ञ डा. राधा कंबोज ने बताया कि पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे जहरीले कण, जो कि हमारे बालों से भी 30 गुना ज्यादा बारीक और पतले होते हैं, उनसे युक्त हवा जब सांस के जरिए हमारे फेफड़ों में जाती है, तो उसके साथ उसमें घुले कॉपर, ¨जक, लेड जैसे घातक तत्व भी हमारे शरीर में चले जाते हैं, जो नेचर में एस्ट्रोजेनिक और एंटीएंड्रोजेनिक होते हैं। लंबे समय तक जब हम ऐसे जहरीले कणों से युक्त हवा में सांस लेते हैं, तो उसकी वजह से जरूरी टेस्टोस्टेरॉन और स्पर्म सेल के प्रोडक्शन में कमी आने लगती है। स्पर्म सेल की लाइफ साइकिल 72 दिनों की होती है और स्पर्म पर पॉल्यूशन का घातक प्रभाव लगातार 90 दिनों तक दूषित वातावरण में रहने के बाद नजर आने लगता है। सल्फर डाई ऑक्साइड की मात्रा में हर बार जब भी 10 माइक्रोग्राम की बढ़ोतरी होती है, तो उससे स्पर्म कॉन्संट्रेशन में आठ फीसद तक की कमी आ जाती है, जबकि स्पर्म काउंट भी 12 फीसद तक कम हो जाता है और उनकी गतिशीलता या मॉर्टेलिटी भी 14 फीसद तक कम हो जाती है। स्पर्म के आकार और गतिशीलता पर असर पड़ने की वजह से पुरुषों में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस अचानक बढ़ जाता है और डीएनए भी डैमेजज होने लगता है, जिससे उनकी फर्टिलिटी पर काफी बुरा असर पड़ता है और उनकी उर्वर क्षमता अत्यधिक प्रभावित होती है। --लाइफ स्टाइल में बदलाव से असर कम किया जा सकता है डा. राधा कंबोज का कहना है कि हालांकि हवा में फैले प्रदूषण से पूरी तरह बच पाना मुश्किल है, लेकिन इसके बावजूद अपनी लाइफ स्टाइल में कुछ खास तरह के बदलाव लाकर और अपनी डायट पर कंट्रोल करके इसके असर को कम जरूर किया जा सकता है। एंटीऑक्सिडेंट का सेवन ज्यादा करें। उनमें विटामिन्स, मिनरल्स और रिच न्यूट्रिएंट्स का सही मिश्रण होता है और जो स्पर्म को हेल्दी बनाए रखने और उनकी क्वॉलिटी को सुधारने में मददगार साबित होते हैं। ये हमारे शरीर के लिए एक तरह के डिफेंस मैकेनिज्म का काम करते हैं। ये शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स को हटाकर स्पर्म सेल्स की लाइफ को बढ़ाते हैं। विटामिन ई और सेलेनियम हमारे रक्त में मौजूद आरबीसी यानी रेड ब्लड सेल्स को ऑक्सिडेटिव डैमेज से बचाते हैं। इसके अलावा ¨जक भी शरीर के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण मिनरल है। उनका कहना है कि खासकर गर्भवती महिलाओं को आतिशबाजी से दूर रहना चाहिए। हवा में प्रदूषण की अधिकता होने पर जरूरी हो, तभी घर से बाहर निकलें। मास्क लगाना न भूलें।


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